भोपाल
प्रदेश के 119 शहरों में संचालित रैन बसेरों को केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता बंद कर दी गई है। अब मामला राज्य सरकार के पास है कि वे इसको चलाना चाहते हैं या नहीं। इन रैन बसेरों में गरीब और फुटपाथ पर सोने वाले लोगों को ठंड, बारिश और गर्मी से राहत पाने के लिए आश्रय लेते रहे हैं। इसका खर्च केंद्र सरकार उठाती रही है लेकिन अब केंद्र ने इस योजना को बंद कर दिया है।
इसलिए रैन बसेरे बंद होंगे या नहीं, इस पर राज्य सरकार को फैसला करना है। इसके लिए नगरीय विकास और आवास विभाग एक दो दिनों में अंतिम निर्णय लेगा। नगरीय निकायों में बस स्टैंड और अन्य सार्वजनिक आबादी वाले इलाकों में रैन बसेरों के माध्यम से आश्रय देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा रैन बसेरा योजना शुरू की गई थी। पांच साल तक संचालित करने के बाद केंद्र सरकार ने इसे बंद कर दिया है।
अब इन रैन बसेरों के संचालन का फैसला राज्य सरकार को करना है। नगरीय विकास और आवास विभाग के अफसरों के मुताबिक इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्री को फाइल भेजी गई है जिसके मामले में एक दो दिन में निर्णय होगा कि इन्हें संचालित रखा जाएगा या फिर बंद कर दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि रैन बसेरों को चुनावी साल के मद्देनजर सरकार बंद करने से बच रही है। इसलिए इस मामले में जुलाई माह में पावस सत्र के दौरान अनुपूरक बजट का प्रावधान कर संचालित करने का निर्णय लिया जा सकता है।
ठंड और बारिश में सबसे गरीबों का बड़ा सहारा
नगरीय निकाय अफसरों के अनुसार रैन बसेरे फुटपाथ पर सोने वाले और अन्य गरीब लोगों के लिए ठंड और बारिश के दिनों में सबसे बड़ा सहारा होते हैं। कई स्थानों पर दीनदयाल रसोई भी सरकार चलाकर यहां रहने वालों के लिए सस्ते खाने का इंतजाम करती है। ऐसे में इनके बंद होने से गरीबों और फुटपाथ पर रहने वालों के लिए बारिश और ठंड में दिक्कत होना तय है।