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जापानी कंपनी का अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर उतरने की कोशिश के दौरान दुर्घटनाग्रस्त

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तोक्यो

जापान की एक कंपनी का अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर उतरने की कोशिश के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

हादसे के कारण यान से संपर्क टूट गया और उड़ान नियंत्रक यह पता लगाने की कोशिशों में जुटे हैं कि आखिर वहां हुआ क्या। संपर्क टूटने के छह घंटे से अधिक समय बाद तोक्यों की कंपनी ‘आईस्पेस’ ने उस बात की पुष्टि की, जिसका सभी को संदेह था।

 

कंपनी ने कहा कि ऐसी ‘‘उच्च संभावना’’ है कि यान चंद्रमा की सतह पर उतरने की कोशिश करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

 

यह ‘आईस्पेस’ के लिए बेहद निराशाजनक है, क्योंकि वह करीब साढ़े चार महीने से इस मिशन पर काम कर रहा था, जिसका मकसद चंद्रमा की सतह पर एक अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक उतारना था। ऐसा अभी तक केवल तीन देश ही कर पाए हैं।

 

‘आईस्पेस’ के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ताकेशी हकमादा को यान से संपर्क टूट जाने के बाद भी उसके चंद्रमा पर सुरक्षित रूप से उतर जाने की उम्मीद थी।

 

हकमादा जब अंतरिक्ष यान के चंद्रमा पर उतरने की कोशिश के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने की घोषणा कर रहे थे, तब वह और उनके सहकर्मी काफी गमगीन नजर आए।

 

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘‘यह माना जा रहा है कि यान चंद्रमा की सतह पर उतरे समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया।’’

 

अगर यह मिशन सफल होता तो ‘आइस्पेस’ चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यान उतारने वाली पहली निजी कंपनी बन जाती।

 

हालांकि, हकमादा ने फिर कोशिश करने का संकल्प किया और कहा कि अगले साल एक यान को चंद्रमा की सतह पर भेजने की दिशा में पहले से ही काम शुरू कर दिया गया है।

 

अभी तक केवल रूस, अमेरिका और चीन की आधिकारिक अंतरिक्ष एजेंसी के यान चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतर पाए हैं। इज़राइल की एक गैर-लाभकारी संस्था ने 2019 में चंद्रमा की सतह पर एक यान उतारने की कोशिश की थी, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल पाई थी।

 

 

 

 

क्वाड नेता 24 मई को सिडनी में करेंगे बैठक : व्हाइट हाउस

 

 क्वाड देशों के नेता अगले महीने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में तीसरी बार आमने-सामने की मुलाकात करेंगे। व्हाइट हाउस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

 

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यां-पियरे ने बताया कि इस मुलाकात का मकसद महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकियों, उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे, वैश्विक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन तथा सामरिक रूप से अहम हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर आपसी सहयोग को गहरा करना है।

 

क्वाड एक चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद समूह है, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। यह पहली बार होगा, जब ऑस्ट्रेलिया क्वाड देशों के नेताओं की मेजबानी करेगा।

 

ज्यां-पियरे ने कहा, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज की मेजबानी में सिडनी में 24 मई को आयोजित होने वाले क्वाड नेताओं की बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन हिस्सा लेंगे। इस शिखर सम्मेलन में जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल होंगे।

 

अल्बानीज ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटों बाद जापान की राजधानी तोक्यो में आयोजित क्वाड सम्मेलन में शिरकत की थी।

 

ज्यां-पियरे ने कहा, क्वाड नेता इस बात पर चर्चा करेंगे कि वे महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे, वैश्विक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, समुद्री क्षेत्र में जागरूकता और सामरिक रूप से अहम हिंद-प्रशांत क्षेत्र से अन्य संबंधित मुद्दों पर आपसी सहयोग को कैसे गहरा कर सकते हैं।

 

राष्ट्रपति बाइडन 19 मई से 21 मई तक जापान के हिरोशिमा में आयोजित होने वाले जी7 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद ऑस्ट्रेलिया पहुंचेंगे।

 

भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य दखलअंदाजी के मद्देनजर एक स्वतंत्र, मुक्त और संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में लंबे अरसे से बात कर रही हैं।

 

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के वास्ते 2017 में एक नयी रणनीति विकसित करने के लिए क्वाड की स्थापना के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव को आकार दिया था।

 

चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे क्षेत्र पर दावा करता है। इस क्षेत्र में उसका ताइवान, फिलीपींस , ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम सहित कई अन्य देशों के साथ विवाद है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कई कृत्रिम द्वीपों और सैन्य अड्डों का निर्माण भी किया है।