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कैथल जिला परिषद में लंबी खींच तान के बाद आज जिले को नया चेयरमैन मिला, कर्मबीर कौल बने कैथल के चेयरमैन

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कैथल
कैथल जिला परिषद में लंबी खींच तान के बाद आज जिले को नया चेयरमैन मिल गया, जिसको लेकर दोपहर 12 बजे जिला परिषद कार्यालय में चुनाव संपन्न हुआ। जिसमें जिले के 21 में 19 पार्षद ने सर्व सम्मति से कर्मबीर कौल को चेयरमैन चुना। इस से पहले जेजेपी समर्थित दीपक मलिक चेयरमैन चुने गए थे, जिसको अविश्वास प्रस्ताव लाकर पद से हटाया जा चुका है। इसके बाद चेयरमैन बनने की दौड़ में कर्मबीर कौल का नाम सबसे आगे था। कर्मबीर कौल अभी जिला परिषद के वाइस चेयरमैन भी हैं। पार्षदों व भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ अच्छे संबंधों का फायदा इनको मिल है।

बात दें कि जिला पार्षदों की संख्या 21 है, लेकिन चेयरमैन का चुनाव के लिए प्रशासन द्वारा केवल 20 पार्षदों को नोटिस भेजे गए थे। जबकि वार्ड नंबर 11 के पार्षद विक्रमजीत कश्यप निलंबन के चलते वोट डालने का अधिकार नहीं दिया गया, जिनको कैथल विजिलेंस ने एक सरकारी ठेकेदार से रिश्वत मांगने के मामले में गिरफ्तार किया था, जो अब कोर्ट से जमानत पर है, इस वजह से आज वह चेयरमैन के चुनाव में अपनी वोट नहीं डाल पाएंगे, जबकि बाकी सभी पार्षदों को चुनाव प्रक्रिया में शामिल होने के लिए अपने दो फोटोयुक्त पहचान पत्र एवं निर्वाचित होने का प्रमाण पत्र साथ लेकर आना होगा।

14 अक्टूबर को गई थी दीप मलिक की कुर्सी
जनवरी 2023 में जिला परिषद चेयरमैन चुने गए दीप मलिक की 14 अक्टूबर को कुर्सी छीन गई थी। उनके खिलाफ पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे। 19 जुलाई को हुई वोटिंग में 17 पार्षदों ने हिस्सा लिया था। अविश्वास प्रस्ताव के लिए 12 जुलाई को 15 पार्षदों ने डीसी को शपथ पत्र सौंप थे। जिसके बाद प्रशासन ने 19 जुलाई को मीटिंग बुलाई थी। दीप मलिक मलिक प्रशासन के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गए थे। आरोप लगाया था कि मीटिंग बुलाने के लिए नियमों का पालन नहीं किया गया। हाई कोर्ट ने तय दिन पर वोटिंग करवाने के आदेश दिए, लेकिन अंतिम फैसला आने तक रिजल्ट घोषित करने पर स्टे लगा दिया था। 19 जुलाई को 17 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की। जिसमें चेयरमैन दीप मलिक नहीं पहुंचे थे। अगस्त में हाई कोर्ट ने फैसला प्रशासन के पक्ष में दिया, लेकिन आचार संहिता की वजह से रिजल्ट जारी नहीं हो सका। 14 अक्टूबर को जिला सचिवालय में डीसी की अध्यक्षता में वोटों की गिनती हुई। सभी 17 पार्षदों के वोट अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मिलने पर दीप मलिक की कुर्सी भी चली गई थी।

कर्मबीर कौल ने दीप मलिक से छीनी थी ग्रांट बांटने की पावर
जनवरी 2023 में जिला परिषद चेयरमैन बनाने को लेकर भाजपा व जजपा दोनों ही पार्टियों में खूब खिंचतान हुई थी। दोनों ही पार्टी अपना चेयरमैन बनाने के लिए जोर लगा रही थी, लेकिन बाजी जजपा के हाथ लगी। जजपा के सहयोग से दीप मलिक चेयरमैन तो बने, लेकिन पहली मीटिंग से उनके सामने अड़चने शुरू हो गई थी। हाउस की पहली ही मीटिंग में चेयरमैन से ग्रांट बांटने की पावर छीन गई। वोटिंग के माध्यम से ग्रांट बांटने का अधिकार भाजपा समर्थित वाइस चेयरमैन कर्मबीर कौल को मिल गया था। हालांकि बाद में ग्रांट वितरण का अधिकार दीप मलिक को मिल गया था। इसके बाद पार्षद दीप मलिक से बागी होने लगे। चेयरमैन द्वारा ग्रांट वितरण में भेदभाव के आरोप लगे। पार्षद व पार्षद प्रतिनिधि को भ्रष्टाचार के केस में फंसाने के भी आरोप लगाए गए। जिस कारण दीप मलिक अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए थे।