संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में महज 5 स्थायी सदस्य ही होने को लेकर भारत ने एक बार फिर से सवाल खड़ा किया है। सोमवार को UNSC की एक डिबेट में संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने अहम सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आखिर 5 देश जिस चार्टर को तैयार करते हैं, उसे कैसे दुनिया भर के देश मान सकते हैं। यही नहीं उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 5 देश ही स्थायी सदस्य हैं। ये देश एक-दूसरे को ऐसी ताकत देते हैं कि बाकी दुनिया के 188 देशों की राय को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि यदि हम आज भी 1945 के माइंडसेट के तहत ही काम करेंगे तो फिर संयुक्त राष्ट्र में लोगों का भरोसा हम खो देंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में अंतरराष्ट्रीय समुदाय में कैसे बहुपक्षीय संबंध विकसित होंगे, जब एक संगठन में कुछ सदस्यों की राय ही पूरी दुनिया पर लागू होती हो। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में वही सोच नहीं चल सकती है, जो बीती तीन पीढ़ियों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के दौर से ही भारत इसका हिस्सा रहे हैं। यूएन चार्टर में 26 जून 1945 को भारत ने भी हस्ताक्षर किए थे।
उन्होंने कहा कि तब से आज तक 77 साल बीते चुके हैं, लेकिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बाहर ही रखा गया है। रुचिरा कंबोज ने कहा कि अफ्रीका और लैटिन अमेरिका की स्थिति तो यह है कि पूरे महाद्वीप से ही किसी को भी प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि आज मौजूद चुनौतियों से निपटना संभव नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह भी यही है कि सभी को भागीदारी नहीं मिल पाई है। गौरतलब है कि भारत अकसर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन की मांग करता रहा है। अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों ने भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन भी किया है।