जम्मू
जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन के बाद आतंकी हमलों में वृद्धि देखने को मिल रही है। इसको लेकर राज्य के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने घाटी में बढ़ते आतंकी हमले का जिम्मेदारी पाकिस्तान को ठहराया और कहा कि वो 'नए कश्मीर' के विचार को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने आतंकी हमलों को लेकर कहा कि मेरे हिसाब से यह पाकिस्तान के डीप स्टेट की ओर से किसी तरह हिंसा के स्तर को बढ़ाने का प्रयास है। वे नई सरकार के लिए समस्याएं पैदा करना चाहते हैं, खासकर ऐसे सफल चुनाव के बाद, जहां लोकसभा चुनाव में 60 प्रतिशत और विधानसभा चुनाव में 65 प्रतिशत मतदान हुआ हो। यह पाकिस्तान के डीप स्टेट को पसंद नहीं आएगा। उनके यहां लोकतंत्र नहीं है, इसलिए वे यहां की आजादी, विकास और लोकतंत्र को बर्दाश्त नहीं कर सकते।
उन्होंने आगे कहा कि सोशल मीडिया आज के दौर में सीमा पार के कश्मीरियों को दिखाता है कि यहां कितनी आजादी, विकास और सुविधाएं मौजूद हैं, जिसमें एयरपोर्ट, आईआईटी और दर्जनों मेडिकल कॉलेज शामिल हैं, जबकि उनके पास एक भी एयरपोर्ट नहीं है। पीओके में रहने वाले कश्मीरी यह सब देखते हैं और पाकिस्तान की डीप स्टेट को खतरा महसूस होता है, जिससे वे ऐसी हरकतें करते हैं।
चुनाव से पहले जम्मू में हमलों में अचानक वृद्धि हुई और मोदी सरकार के सत्ता में आते ही हमने राजौरी और पुंछ में सेना के वाहनों को निशाना बनाकर हमले होते हुए देखे। पहले हताहतों की संख्या 30-35 के आसपास थी, लेकिन अब यह बढ़कर 50 के आसपास हो गई है। जब मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने वाली थी, तब तीर्थयात्रियों पर हमला हुआ, उसके बाद डोडा, कठुआ, हीरानगर और उधमपुर जैसे क्षेत्रों में घटनाएं हुईं। हमें आतंकी हमलों में पाकिस्तानी सेना के जवानों की संलिप्तता की रिपोर्ट भी मिलनी शुरू हो गई थी, जिसके कारण भारत सरकार ने सेना, खुफिया एजेंसियों, स्थानीय खुफिया एजेंसियों और सुरक्षाबलों के साथ बैठक की और इसके तुरंत बाद, हमने स्थिति पर पूर्ण नियंत्रण पाया।
एसपी वैद ने आगे बताया कि जम्मू-कश्मीर में जैसे ही नई सरकार बनी, गुलमर्ग, सोनमर्ग और अवंतीपोरा जैसे इलाकों में घटनाओं में वृद्धि हुई, साथ ही कुछ समूह डांगधार और केरन जैसे क्षेत्रों से घुसपैठ की कोशिश भी कर रहे थे। पाकिस्तान मोदी सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास परियोजनाओं में बाधा डालने के लिए जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं को बढ़ाने का टारगेट बना रहा है। वे 'नए कश्मीर' के विचार को बर्दाश्त नहीं कर सकते, इसलिए वे विकास परियोजनाओं पर काम रोकने के लिए मजदूरों को निशाना बनाते हैं।