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राजस्थान-केकड़ी में एक नवम्बर को होगा दीपावली पूजन, चारभुजानाथ मंदिर में व्यास पीठ की बैठक में निर्णय

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केकड़ी.

दीपावली मनाने के दिन को लेकर इन दिनों काफी जद्दोजहद चल रही है। इस सारी ऊहापोह का पटाक्षेप करते हुए केकड़ी के प्रमुख केंद्र चारभुजानाथ मंदिर की व्यास पीठ द्वारा स्पष्ट किया गया है कि 1 नवंबर को ही दीपावली एवं माता महालक्ष्मी का पूजन करना शास्त्र सम्मत है। चारभुजानाथ मंदिर व्यासपीठ के कथा व्यास एवं वयोवृद्ध ज्योतिषाचार्य नगर पंडित मुरलीधर दाधीच ने उक्त घोषणा की है.

ज्योतिषाचार्य नगर पंडित मुरलीधर दाधीच ने घोषणा करते हुए कहा कि इस बार खास बात यह भी है कि एक नवंबर को दीपावली पूजन वाले दिन शुक्रवार है, जो कि माता महालक्ष्मी की आराधना के लिए विशेष फलदाई माना जाता है। वहीं इस दिन स्वाति नक्षत्र भी है। यह दो अद्भुत संयोग दीपावली पूजन के दिन ही प्राप्त हो रहे हैं, जो कि विशेष शुभता वाले हैं और सुख-शांति और समृद्धि के प्रतीक हैं।
उन्होनें कहा कि दीपावली पर माता महालक्ष्मी के पूजन की तिथि को लेकर किसी तरह की कोई भ्रमपूर्ण स्थिति नहीं है, यह 1 नवंबर को ही सुनिश्चित है। इस दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या शास्त्र सम्मत एवं माता महालक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ है। यह निर्णय पंचांग एवं शास्त्र के आधार पर है। जिसे चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं है। हालांकि अमावस्या 31 अक्टूबर व 1 नवम्बर दोनों दिन है, लेकिन 1 नवंबर का दिन ही माता महालक्ष्मी पूजन के लिए शास्त्र सम्मत है। शास्त्रों और पंचांगों में यह तथ्य प्रमुखता से स्पष्ट किया गया है कि दीपावली पर्व के मौके पर यदि 2 दिन अमावस्या हो और दूसरे दिन प्रदोष काल भी हो, तो आगे वाला अगला दिन ही माता महालक्ष्मी के पूजन के लिए श्रेष्ठ व शास्त्र सम्मत है। एक नवम्बर को पूरे दिन और रात्रि में भी माता महालक्ष्मी के पूजन के मुहूर्त हैं।

पंचांगों में उल्लेख, शंकराचार्य का भी निर्णय
कथा व्यास पंडित मुरलीधर दाधीच ने बताया कि इस वर्ष 1 नवंबर को दीपावली पूजन किए जाने को लेकर प्रतिष्ठित पंडित बंशीधर ज्योतिष पंचांग में भी विशेष उल्लेख किया गया है। जिसमें बताया गया है कि श्री कांचीकामकोटि के जगतगुरुश्री शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती महाराज के सानिध्य में 10 व 11 अगस्त 2023 को वाराणसी में आयोजित सभा में पंचांगकर्ताओं ने तथ्यों व शास्त्र सम्मत बिंदुओं के आधार पर सर्वसम्मति से इस संबंध में निर्णय लेकर 1 नवंबर को ही दीपावली मनाया जाना सुनिश्चित किया था। इसी दिन पितृकार्य अमावस्या है, अतः प्रातः पितृ देवता का पूजन करने के बाद श्रीमहालक्ष्मीजी का पूजन किया जाना चाहिए। यदि दीपावली एक दिन पूर्व मान्य की जाए तो देव पूजन, पार्वण श्राद्ध आदि महालक्ष्मी पूजन के बाद होगें जो कि विपरीत हो जायेगा, अतः दीपावली पर्व 1 नवंबर को मनाना ही शास्त्रोक्त है।

6 दिवसीय दीपावली महापर्व —
29 अक्तूबर धनतेरस-सायंकाल, यम-दीपदान, भौम प्रदोष
30 अक्तूबर मासिक शिवरात्रि
31 अक्तूबर नरक एवं रूप चतुर्दशी
1 नवम्बर दीपावली, श्रीमहालक्ष्मी पूजन
2 नवम्बर अन्नकूट, गोवर्धन पूजा
3 नवम्बर भाई-दूज