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मप्र के कुछ जिलों में है जंगली हाथी की मौजूदगी, हाथियों को ह्रयूमन-फ्रेंडली बनाने की होगी कोशिश

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भोपाल
जंगली हाथियों से ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए नवीन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। हाथी और मानव के बीच द्वंद्व रोकने के लिए राज्य सरकार एआई (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का उपयोग करेगी। इसके लिए ट्रेन और मालगाड़ी में ऐसे कैमरे लगाए जाएंगे, जो ड्राइवर को दूर से ही हाथियों की हलचल बता देंगे। इसके अलावा एक ध्वनि यंत्र भी लगाया जाएगा जो ऐसी आवाजें निकालेगा, जिससे ट्रेन या मालगाड़ी आते समय हाथी रेललाइन से दूर भाग जाएं।

वन चौकियों में भी होगा प्रयोग
इस तरह का प्रयोग जंगल में वन चौकियों में भी किया जाएगा, यहां जंगल से सटे गांव के नजदीक कैमरे और ध्वनि यंत्र लगाए जाएंगे, जिससे हाथी अगर ग्रामीण क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो उनके आवागमन का पहले से ही वन रक्षकों को पता चल जाए और हाथियों को ग्रामीण क्षेत्र में प्रवेश न करने देने के उपाय किए जा सकें।
इसके साथ ही जंगली हाथियों को मानव फ्रेंडली बनाने के लिए हाथियों के नियमित रहवास क्षेत्र में पर्यटकों को प्राकृतिक रूप से हाथी दिखाए जाएंगे। वन विभाग हाथी-मानव द्वंद्व रोकने के संबंध में रणनीति बना रहा है। इसके तहत कर्नाटक राज्य की तर्ज पर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। हालांकि वन विभाग दो साल पहले 11 जनवरी 2023 को मानव-हाथी द्वंद्व के प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश जारी कर चुका है।

इसमें हाथियों को प्राकृतिक रहवास में लौटाने के प्रयास सहित उनकी मौजूदगी के लिए सूचना तंत्र बनाने, हाथी मित्र दल बनाने, हाथियों से जुड़ी घटनाओं की लगातार निगरानी, रैपिड रिस्पॉस टीम बनाने, स्थानीय लोगों के संपर्क में रहने, हाथियों को सुरक्षित रास्ता देने, हाथियों को खदेड़ने के लिए पटाखों, रबर बुलेट और कंडे जलाकर आग के प्रयोग जैसे उपाय थे। अब समय व परिस्थिति को देखते हुए नई रणनीति बनाई जा रही है। मप्र के शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, अनूपपुर, मंडला, डिंडोरी के अलावा नरसिंहपुर, नर्मदापुरम और रायसेन जिलों में भी हाथियों की मौजूदगी देखी गई है।

वन्यजीव विशेषज्ञों की राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला भी होगी
मध्य प्रदेश में बाघ, तेंदुआ एवं हाथी की बढ़ती संख्या को देखते हुए वन्यजीव विशेषज्ञों को आमंत्रित कर राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला भी की जाएगी। कार्यशाला में वन्यजीवों के प्रबंधन पर आवश्यक रणनीति तैयार की जाएगी। इसमें देशभर के विशेषज्ञ अपने-अपने सुझाव देंगे और अपने राज्यों में किए गए प्रयोग भी साझा करेंगे।

मुआवजा राशि भी बढ़ाने की तैयारी
वन विभाग वन्यप्राणियों के हमले से होने वाली जनहानि पर मुआवजा बढ़ाने की तैयार कर रहा है। इसके लिए प्रस्ताव बना लिया है और राज्य शासन को भेजा गया है। अभी जनहानि पर आठ लाख रुपये प्रति व्यक्ति मुआवजा राशि है। जिसे महाराष्ट्र राज्य की तर्ज पर 25 लाख रुपये प्रति व्यक्ति किए जाने की तैयारी है, प्रस्ताव पर मंजूरी राज्य सरकार देगी।

24 घंटे होगी निगरानी
एआई तकनीक के माध्यम से हाथियों की गतिविधियों पर रात में थर्मल इमेज और दिन में कैमरा वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए नजर रखी जाएगी। इससे हाथियों की गतिविधियों को लगातार रिकॉर्ड किया जाएगा। ड्रोन की मदद से हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी। एआई आधारित निगरानी प्रणाली में थर्मल और सामान्य दोनों कैमरों ऊंचाई पर बने टावर में लगाया जाएगा। इस एआई-आधारित निगरानी प्रणाली में रियल-टाइम आपरेटिंग सिस्टम के जरिए डेटा आटोमैटिक तरीके से नियंत्रण कक्ष में ट्रांसफर होगा।

कर्नाटक में है ऐसी व्यवस्था
कर्नाटक में हम्पी जिले में हाथी अस्तबल एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। राज्य में पर्यटकों के लिए कई हाथी कैंप बनाए गए हैं। सकरबाइल और कूर्ग का डूबारे हाथी कैंप विख्यात है। यहां बने रिसोर्ट और लॉज में जाकर हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास में नजदीक से देखा जा सकता है।