लखनऊ
साल 2005 में बहुजन समाज पार्टी विधायक रहे राजू पाल की उत्तर प्रदेश में घेरकर हत्या कर दी गई। मामले में फूलपुर सीट से समाजवादी पार्टी सांसद अतीक अहमद का नाम सामने आया। करीब 18 साल पहले हुई इस घटना ने पाल और अहमद परिवार की कहानी हमेशा के लिए बदल दी या कहें कि राजू की हत्या अतीक की बर्बादी की स्क्रिप्ट बन गई। अब सवाल है कि जिस सपा ने अतीक को पनाह दी, उसी पार्टी के साथ राजू पाल की पत्नी पूजा को आगे चलकर सियासी राह क्यों नजर आई?
मायावती का साथ फिर भी छोड़ दी बसपा
अतीक के गढ़ कहे जाने वाले इलाहबाद (अब प्रयागराज) में फिर उपचुनाव की तैयारी थी। उस दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती खुद मौके पर पहुंचीं और पूजा को उम्मीदवार घोषित कर दिया। साथ ही यह भी ऐलान कर दिया कि पूजा को नुकसान पहुंचाने वाले को छोड़ा नहीं जाएगा। 2007 चुनाव के नतीजे घोषित हुए और पूजा ने अतीक के भाई अशरफ को हरा दिया। साल 2012 में अतीक ने खुद चुनाव लड़ा, लेकिन उसे भी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, साल 2019 में पूजा ने सपा का रुख किया।
बसपा से क्यों अलग हुई राहें
बसपा ने तत्कालीन इलाहबाद प्रमुख पूजा को पार्टी से बाहर कर दिया था। कहा जाता है कि बसपा को संदेह था कि पूजा भारतीय जनता पार्टी में शामिल होना चाहती हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ उनकी मुलाकात की खबरें सामने आईं। साल 2017 में भाजपा प्रत्याशी सिद्धार्थ सिंह के हाथों हार के बाद उन्हें शायद बसपा में भविष्य नजर नहीं आया। हालांकि, पूजा भाजपा में नहीं गईं और 2017 चुनाव के बाद बसपा ने कहा कि पूजा पार्टी के कामों में शामिल नहीं हो रही थीं। पार्टी ने यह तक कह दिया कि खुद मायावती ने इस मामले में फैसला लिया है।
सपा ही क्यों?
दरअसल, पूजा के पास अब सपा के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा था। उस दौरान अखिलेश यादव भी पार्टी में अपराधियों के शामिल होने से उखड़े हुए नजर आ रहे थे। साल 2012 में अखिलेश भले ही मुख्यमंत्री बने, लेकिन पार्टी पर नियंत्रण मुलायम सिंह यादव का ही रहा। तब अखिलेश ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के हिस्ट्री शीटर डीपी यादव की पार्टी में एंट्री रोक दी थी।
इतना ही नहीं साल 2017 में मुलायम ने अतीक को कानपुर कैंट से टिकट दिया था, लेकिन खुद माफिया ने अखिलेश के कहने के बाद नामांकन वापस ले लिया। खुद पूजा ने भी इस किस्से का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, 'मेरे मूल्य भी अखिलेश यादव की तरह ही हैं। वह भी अपराधियों को पसंद नहीं करते। वह महिला का दुख जानते हैं। सपा ने अतीक को टिकट नहीं दिया।'
मायावती को लेकर उन्होंने कहा, '…मैंने हमेशा उन्हें अपनी मां की तरह समझा, लेकिन उन्होंने मेरी कीमत नहीं की। मैं राजू पाल की हत्या के मामले में डिप्टी सीएम से मिली थी। मीटिंग मेरे भाजपा में शामिल होने के बारे में नहीं थी। हालांकि, मुझे भाजपा से ऑफर था, लेकिन मैंने मना कर दिया।