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भोपाल में पंचसेवा गृह निर्माण सहकारी संस्था में धोखाधड़ी का मामला, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में प्रकरण दर्ज

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भोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक बड़ा धोखाधड़ी घोटाला सामने आया है, जिसमें पंचसेवा गृह निर्माण सहकारी संस्था से जुड़े कई प्रमुख व्यक्तियों पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी और सरकार को भारी नुकसान पहुंचाने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता अनिल अग्रवाल द्वारा इस मामले को उजागर किया गया, जिनके अनुसार संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक गोयल और उनके सहयोगियों ने सदस्यों को भूखंड देने के नाम पर धोखाधड़ी की है।

धोखाधड़ी का मामला:
अनिल अग्रवाल की शिकायत के अनुसार, पंचसेवा गृह निर्माण सहकारी संस्था ने सदस्यों से भूमि के आवंटन के नाम पर करोड़ों रुपये की राशि एकत्रित की, लेकिन वादानुसार भूखंडों का आवंटन नहीं किया गया। इसके बजाय, भूमि के एक बड़े हिस्से को अवैध रूप से अन्य व्यक्तियों को बेच दिया गया। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि अशोक गोयल और उनके साथियों ने भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्रियां कराई और सदस्यों को गुमराह किया। साथ ही, इस मामले में सरकारी छूट का भी दुरुपयोग किया गया, जिससे शासन को भी भारी नुकसान हुआ है।

शिकायत के अनुसार, पंचसेवा संस्था के अध्यक्ष अशोक गोयल, मनीष तिवारी, नवजोत सिंह, यावर अली खान, रियाज़ खान और अन्य ने संस्था के भूखंडों का दुरुपयोग कर अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए हेराफेरी की है। यह आरोप है कि भूखंडों को पहले संस्था के सदस्यों को देने का वादा किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें अन्य व्यक्तियों को बेच दिया गया। इस प्रक्रिया में सरकारी नियमों और छूटों का भी उल्लंघन किया गया।

एफआईआर दर्ज:
शिकायतकर्ता अनिल अग्रवाल द्वारा मामले की शिकायत के बाद, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल प्रभाव से एफआईआर दर्ज कर ली है। एफआईआर संख्या 2866/24 के तहत अशोक गोयल, मनीष तिवारी और अन्य सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, और सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग के आरोपों में मामला दर्ज किया गया है। इस एफआईआर में यह भी उल्लेख किया गया है कि अशोक गोयल के खिलाफ पूर्व में भी कई मुकदमे दर्ज हैं, और वह कई बार जेल जा चुके हैं। फिलहाल वह ज़मानत पर बाहर हैं और उन पर धोखाधड़ी और जालसाजी के गंभीर आरोप लगे हुए हैं।

 

प्रकरण की जाँच:
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और आरोपियों से जुड़े सभी दस्तावेज़ों की जाँच-पड़ताल की जा रही है। प्रकोष्ठ ने आरोपियों की संपत्तियों और लेन-देन का रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि संस्था के भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्रियों के जरिए अन्य व्यक्तियों को बेचा गया और सदस्यों को गुमराह किया गया।

प्रकोष्ठ के अधिकारियों ने बताया कि यह मामला काफी जटिल है, क्योंकि इसमें भूमि के वितरण से संबंधित कई अनियमितताएं पाई गई हैं। संस्था के भूखंडों की जांच में यह बात स्पष्ट हुई है कि भूखंडों का असल उपयोग सदस्यों के लिए न करके, अन्य लोगों के नाम पर किया गया है। इसके अलावा, जिन सदस्यों ने भूखंडों के लिए राशि जमा की थी, उन्हें भूमि प्रदान नहीं की गई और न ही उनकी धनराशि लौटाई गई।

शिकायतकर्ता अनिल अग्रवाल के पिता:
इस मामले के शिकायतकर्ता अनिल अग्रवाल ने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय के एल अग्रवाल का पहले ही स्वर्गवास हो चुका है। उन्होंने कहा कि यह मामला उनके परिवार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके पिता इस घोटाले का शिकार हुए थे। उन्होंने उम्मीद जताई है कि आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की जांच के बाद दोषियों को सख्त सजा मिलेगी और पीड़ितों को न्याय मिलेगा।

अशोक गोयल और उनके सहयोगियों पर आरोप:
एफआईआर में अशोक गोयल के अलावा मनीष तिवारी, नवजोत सिंह, यावर अली खान, रियाज़ खान, और प्रवीर मंडलोई के खिलाफ भी आरोप दर्ज किए गए हैं। आरोप है कि इन सभी ने संस्था के भूखंडों का दुरुपयोग किया और अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री करवाई। साथ ही, इन पर सरकारी नियमों और छूटों का दुरुपयोग कर सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुँचाने का भी आरोप है।

जांच की दिशा और संभावनाएं:
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रहा है और आरोपियों की संपत्तियों की जांच की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, मामले में जुड़े सभी भूखंडों की रजिस्ट्रियां जांच के दायरे में हैं और यह भी देखा जा रहा है कि किन-किन व्यक्तियों को भूखंड बेचे गए हैं। इसके साथ ही, प्रकोष्ठ द्वारा आरोपियों के बैंक खाते, संपत्ति और अन्य लेन-देन की भी गहन जांच की जा रही है।

प्रकोष्ठ के अधिकारियों का कहना है कि यदि जांच में आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है। यह भी संभावना है कि सरकार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए आरोपियों की संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है।

न्याय की उम्मीद:
शिकायतकर्ता अनिल अग्रवाल और अन्य पीड़ितों ने उम्मीद जताई है कि आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की जांच के बाद उन्हें न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा होगी। इस मामले ने भोपाल के लोगों में आक्रोश फैला दिया है और लोग इस घोटाले के जल्द खुलासे और दोषियों को सजा की मांग कर रहे हैं।

भोपाल में इस मामले को लेकर खासा चर्चा हो रही है और राज्य सरकार की भी इस पर नज़र है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की जांच के परिणाम क्या आते हैं और कितने आरोपी इस घोटाले में दोषी पाए जाते हैं। जनता की नजरें अब इस जांच और आगे की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।