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हरियाणा में पराली जलाने पर 14 किसान अरेस्ट, कई जिलों में ऐक्शन; ताबड़तोड़ मुकदमे

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 चंडीगढ़

हरियाणा के कैथल जिले में पराली जलाने के मामले में 14 किसानों को अरेस्ट किया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में बीते कुछ दिनों में पलूशन बढ़ गया है। इस बीच यह ऐक्शन लिया गया है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि पराली जलाने पर रोक के बाद भी किसान नहीं माने तो यह कार्रवाई की गई है। हरियाणा के हिसार समेत कुछ और जिलों में भी ऐसा ऐक्शन हुआ है। दिल्ली में पलूशन बढ़ने के लिए हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा फसल के अवशेष जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है। कैथल में कुल 123 किसानों पर केस दर्ज हुए हैं।

कहा जाता है कि हर साल धान की फसल काटे जाने के बाद किसान पराली जलाते हैं। उससे निकलने वाले धुएं के चलते ही वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। आमतौर पर हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीने में दिल्ली में पलूशन बढ़ने की शिकायतें आने लगती हैं। इस बार भी सुप्रीम कोर्ट तक में यह मामला पहुंचा है और अदालत ने हरियाणा, पंजाब एवं दिल्ली सरकारों को पलूशन पर लगाम कसने का आदेश दिया है। कैथल के डीएसपी बीरभान ने कहा कि बीते कुछ दिनों में 14 किसानों को पराली जलाने पर अरेस्ट किया गया है। हालांकि इन लोगों को बेल पर रिहा कर दिया गया।

लगातार बढ़ रही घटनाएं
प्रदेश में पराली जलाने के कारण स्मॉग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। राज्य में 15 सितंबर को पराली का सीजन शुरू होने से लेकर शनिवार की रात तक प्रदेश के 16 जिलों में पराली जलाने के 642 केस सामने आ चुके हैं। राज्य में कैथल ऐसा जिला है जहां पिछले छह दिनों से AQI में कोई सुधार नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस संबंध में हरियाणा सरकार को फटकार लगाए जाने के बाद दो दिन पहले कृषि निदेशक द्वारा पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए गए थे। जिसके बाद कृषि विभाग की टीमें और पुलिस बल पूरी तरह से सक्रिय हो गया है।

सभी जिलों से स्टेटस रिपोर्ट ली
प्रदेश में पराली से फैल रहे प्रदूषण और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद रविवार को मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने जिला उपायुक्तों की आपात बैठक बुलाकर सभी जिलों से स्टेटस रिपोर्ट ली। इस बैठक को लेकर आधिकारिक रूप से जानकारी तो जारी नहीं की गई लेकिन जिला स्तर पर कई उपायुक्तों ने इस बारे जानकारी जारी की। इस बैठक में अधिकारियों द्वारा बताया गया कि अब तक प्रदेश में 336 किसानों की रिकार्ड पर रेड पेन एंट्री करके मंडियों में प्रवेश बैन कर दिया गया है। अब यह किसान अगले दो सीजन मंडी में अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे।

किस जिले में कितने मामले सामने आए

जिला पराली जलाने के मामले
कैथल 123
कुरुक्षेत्र 90
अंबाला 73
करनाल 68
जींद 49
सोनीपत 40
फतेहाबाद 36
फरीदाबाद 30

कैथल में 1.57 लाख का जुर्माना लगाया गया: डीसी
कैथल के जिला उपायुक्त डॉ. विवेक भारती ने कहा कि अब तक जिले में धान की फसल के अवशेष जलाने के 123 मामले सामने आए हैं। इनमें 40 फायर लोकेशन नहीं मिली, जबकि 63 में धान की फसल के अवशेष जलाए जाने की बात सही निकली है और उन पर 1 लाख 57 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा 11 एफआईआर दर्ज हुई है। कैथल में पराली जलाने वाले 43 किसानों की मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रेड एंट्री कर दी गई है।

चार सालों का 15 सितंबर से लेकर अब तक ब्योरा

साल पराली जलाने के मामले
2021 1082
2022 586
2023 570
2024 642

 

इन लोगों के खिलाफ प्रदूषण रोकथाम अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ है। पानीपत और यमुनानगर जिलों में भी कई किसानों के खिलाफ केस फाइल हुए हैं। हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी टीवीएसएन ने रविवार को ही डिप्टी कमिश्नरों को आदेश दिया था कि पराली जलाने के मामलों को कंट्रोल किया जाए। बता दें कि बीते सप्ताह हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा एवं पंजाब की सरकारों को फटकार लगाते हुए कहा था कि आपको पराली जलाने से रोकना होगा। इसके अलावा यदि किसान नहीं मानते हैं तो फिर उनके खिलाफ ऐक्शन लिया जाए।

अदालत ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को समन भी जारी किया था और 23 अक्टूबर को स्पष्टीकरण के लिए बुलाया है। जस्टिस अभय एस. ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और ए. जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा था कि दोनों राज्य पूरी तरह असंवेदनशील हैं। पलूशन को लेकर उन्हें जो आदेश दिया है, उस पर काम नहीं कर रहे हैं। यह गलत है और उल्लंघन करने वालों पर उन्हें ऐक्शन लेना ही होगा। अदालत के इस सख्त आदेश के बाद ही कार्रवाई की गई है। वहीं किसानों का कहना है कि धान की फसल कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच बहुत कम अंतर रहता है। ऐसे में खेत को जल्दी खाली करने के लिए वे पराली को कई बार जला देते हैं। यह आसान और सस्ता पड़ता है।