Home छत्तीसगढ़ सामूहिकता की आवाज में ताकत होती है-यदु

सामूहिकता की आवाज में ताकत होती है-यदु

3

##प्रलेस और पाठक मंच द्वारा रचना पाठ का आयोजन ##

खैरागढ़।पाठक मंचऔर प्रगतिशील लेखक संघ इकाई खैरागढ़ के तत्वावधान में रचना पाठ का आयोजन किया गया । शुरुआत में संरक्षक डॉ जीवन यदु ने प्रगतिशील लेखक संघ के इतिहास पर अनेक बातें साझा की।
उन्होंने कहा कि सामूहिकता की आवाज में ताकत होती है। रूस में मैक्सिम गोर्की ने सर्वप्रथम लेखकों का संगठन बनाया जिसका उद्देश्य फासीवाद और पूंजीवाद के विरुद्ध संस्कृति और साहित्य की रक्षा करना था । इस संगठन में बारबुस व रोमा रोला जैसे विद्वान लेखक शामिल थे। सन् 1935 में इंडियन राइटर एसोसिएशन स्थापना मुल्क राज आनंद और सज्जाद ज़हीर ने इंग्लैंड में की । उसके अगले वर्ष 1936 में मुल्क राज आनंद और सज्जाद जहीर के ही प्रयास से अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हुई जिसमे, जिसमें सभी भारतीय भाषाओं के कवि व लेखक सम्मिलित हुए।भारत में लेखक संगठन के पहले भी प्रगतिशील लेखक थे जैसे प्रेमचंद, निराला। प्रथम अधिवेशन लखनऊ में हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रेमचंद ने की थी।पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी ने प्रगतिशील लेखक संघ के बारे में कहा था कि आज जो प्रगतिशील लेखक हैं और कल के दिन नए प्रगतिशील लेखक सामने आएंगे इस तरह गतिमान रहेगा। अगला अधिवेशन कोलकाता में हुआ जिसकी अध्यक्षता रविंद्र नाथ टैगोर ने की। सन् 1940 में तीसरा अधिवेशन मुंबई में हुआ। चौथा अधिवेशन भिवंडी मुंबई में हुआ जिसकी अध्यक्षता रामविलास शर्मा ने की । 1980 में जबलपुर में अधिवेशन हुआ, जिसकी अध्यक्षता हरिशंकर परसाई की ।
कार्यक्रम के अध्यक्षीय संबोधन में संकल्प यदु कहा कि प्रगतिशील लेखक संघ और पाठक मंच में रचना पाठ की अच्छी परंपरा रही है। कोरोना के चलते यह परंपरा टूट सी गई थी । पहले एक रचनाकार की 10 रचनाओं पर रचना पाठ होता था और उसकी समीक्षा भी होती थी, चित्रकला प्रदर्शनी भी होती थी । आज रचना पाठ हो रहा है, उसके लिए आप सभी को बधाई।
रचना पाठ की शुरुआत गिरवर साहू ने नारी शक्ति को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़िया ‘नोनी’ गीत का पाठ किया। धर्मेंद्र जंघेल ने पुरुषवादी मानसिकता पर प्रहार करते हुए ‘पिता का जन्म’ कहानी का पाठ किया। केशरी गुप्ता ने गांव के प्रति अपने विश्वास को प्रकट करते हुए छत्तीसगढ़ी गीत ‘चलो गांव ला गांव बनाबो’ का पाठ किया। बलराम यादव ने रचना नारी पर केंद्रित पढ़ी। अनुराग तूरे ने अपनी रचना कर्म को समर्पित ‘भ्रूण हत्या’ कविता का पाठ किया। बसंत यदु ठेठ छत्तीसगढ़ी में मुक्तक का पाठ किया। रविंद्र पांडे ने समाज के पूंजीवादी से उपजे पाखंड पर प्रहार करते हुए व्यंग लेख ‘पाप का घड़ा’ का पाठ किया। रवि यादव ने लोगों के बीच बढ़ती संवादहीनता पर हिंदी कविता ‘सिर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं’ और अंधविश्वास पर चोट करते हुए छत्तीसगढ़ी कविता ‘बोकरा के सिंग टूटगे’ का पाठ किया । संकल्प यदु ने रीतिकालीन मानसिकता को तोड़ते हुए प्रेम कविता ‘ढूंढो ढूंढो रे साजना’ और मनुष्य की अदम्य जिजीविषा को रेखांकित करती कविता ‘फूल” का पाठ किया। संचालन करते हुए यशपाल जंघेल और निम्न वर्ग को रेखांकित करते हुए ‘घास’ कविता का पाठ किया। श्री विनयशरण सिंह ने राम का सहारा लेकर समाज में फैल रहे वैमनस्य पर प्रहार करते हुए मुक्तक का पाठ किया और सब्जी बाजार शीर्षक से खरीदार की मानसिकता को रेखांकित करते हुए हास्य-व्यंग्य रचना का पाठ किया। डॉ जीवन यदु ने बहुत दिनों बाद कविता का पाठ किया। मां को समर्पित ‘तुम मेरी अदिति हो, दीति हो मां’ और पिता को समर्पित कविता ‘ पिता की चप्पल’ और कविता जरूरी नहीं’ का पाठ किया ।
रचना गोष्ठी को समेटते हुए डॉ. जीवन यदु ने कहा कि रविंद्र पांडेय के व्यंग्य में ऊर्जा है। संकल्प यदु और यशपाल जंघेल ने अच्छी कविता लगी ।धर्मेंद्र जी की कहानी कविता के निकट जान पड़ती है। केशरी गुप्ता की कविता कविता पर बोलते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी हैं में आप लिख रहे हैं तो हिंदी शब्दों से बचा जाना चाहिए। रवि यादव और बसंत यदु ने जिस तरह छत्तीसगढ़ी शब्दों का प्रयोग किया हैं उसे सीखा जा सकता है। बलराम यादव की कविता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अगर पौराणिक चरित्र को ले रहे हैं पूरे संदर्भ ध्यान में रखना चाहिए। अनुराग तुरे की कविता पर कहा कि कवि को समाज का चेहरा पढ़ना चाहिए । सुंदरता को जन्म दे देना रचनाकार का दायित्व है। रचना के फ्रेम को चौड़ा करने की जरूरत है।
आभार प्रदर्शन करते हुए अनुराग तूरे कहा कि यह आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ खैरागढ़ और पाठक मंच खैरागढ़ को नई ऊर्जा प्रदान करेगा। आने वाले समय में हम दोगुने उत्साह के साथ इस तरह के आयोजन करेंगे। कार्यक्रम में उपस्थित सभी सदस्यों का हार्दिक धन्यवाद ।