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कृष्णलाल पंवार ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया, अब हरियाणा में BJP के कई दावेदार

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चंडीगढ़
हाल ही में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में इसराना से चुनाव जीतने के बाद कृष्णलाल पंवार ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने पंवार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। ऐसे में राज्यसभा में हरियाणा के हिस्से की एक सीट खाली हो गई है।

हालांकि खाली हुई इस एक सीट के लिए चुनाव कब होंगे, इसकी अभी अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन चर्चा है कि हरियाणा में विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद कभी भी राज्यसभा की एक खाली हुई सीट के लिए चुनाव हो सकते हैं। राज्यसभा के सदस्य के रूप में कृष्णलाल पंवार का कार्यकाल एक अगस्त 2028 तक का था। उन्होंने 23 अगस्त 2022 को शपथ ग्रहण की थी। ऐसे में अब भारतीय जनता पार्टी की ओर से करीब चार साल के लिए अपने प्रत्याशी को राज्यसभा में भेजा जाएगा।

इस्तीफा देकर मांगा था आशीर्वाद
कृष्ण लाल पंवार ने हाल ही में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा था, जिसके बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट करते हुए लिखा था कि इसराना के विधायक के रूप में जनसेवा के अपने नए कर्तव्य की ओर कदम बढ़ाए। नई पारी की शुरुआत के लिए सभी अपना आशीर्वाद प्रदान करें। उन्होंने आगे लिखा था कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी व प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में इसराना को एक बेहतर और विकसित क्षेत्र बनाने के लिए कृत संकल्पित हूं। बता दें कि पंवार हरियाणा बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं।

बीजेपी ने सहेजी बंसीलाल की राजनीतिक विरासत
बता दें कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के सांसद दीपेंद्र हुड्डा की ओर से राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने पर भारतीय जनता पार्टी ने किरण चौधरी को राज्यसभा में भेजा था। किरण चौधरी का राज्यसभा के सदस्य के रूप में 9 अप्रैल 2026 तक का कार्यकाल है। किरण चौधरी ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अपनी बेटी और समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। इसके एवज में भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को सहेजते हुए किरण चौधरी को राज्यसभा में भेजने का काम किया। इसके अलावा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने तोशाम से किरण चौधरी की बेटी श्रुति को अपना उम्मीदवार बनाया। तोशाम से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने उन्हें प्रदेश की नायब कैबिनेट में भी स्थान दिया।

हरियाणा की राज्यसभा सीटों का गणित
हरियाणा की अन्य राज्यसभा सीटों की बात करें तो इनमें बीजेपी के रामचंद्र जांगड़ा 10 अप्रैल 2020 को राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे, जिनका कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक का है। इसी प्रकार से बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला जो 3 अप्रैल 2024 को राज्यसभा के सदस्य मनोनित हुए थे, का कार्यकाल 2 अप्रैल 2030 तक है। इसी प्रकार से बीजेपी में शामिल होने के बाद राज्यसभा पहुंची किरण चौधरी का कार्यकाल 9 अप्रैल 2026 तक का है। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा का चुनाव लड़े कार्तिकेय शर्मा ने 2 अगस्त 2022 को राज्यसभा के सदस्य के तौर पर शपथ ली थी, इनका कार्यकाल 1 अगस्त 2028 तक का है। हालांकि कार्तिकेय को बीजेपी की ओर से समर्थन दिया गया था। इसी प्रकार से बीजेपी की ओर से राज्यसभा में गए कृष्णलाल पंवार ने 23 अगस्त 2022 को शपथ ग्रहण की थी, जिनका कार्यकाल एक अगस्त 2028 तक था, लेकिन अब उनके इस्तीफे के बाद राज्यसभा में हरियाणा के हिस्से की एक सीट खाली हो गई है।

बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत
हरियाणा विधानसभा के ताजा आंकड़ों को देखे तो इस बार भारतीय जनता पार्टी के पास खुद के 48 विधायक है। इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायकों का भी बीजेपी को समर्थन हैं, जबकि कांग्रेस के 37 और इनेलो के 2 विधायक है। ऐसे में यह साफ है कि कोई भी अन्य दल राज्यसभा के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ अपना उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारेगा, जिससे बीजेपी उम्मीदवार का निर्विरोध राज्यसभा में जाना तय माना जा रहा है।

राज्यसभा के लिए बीजेपी के दावेदार
मौजूदा राजनीतिक हालात में कृष्णलाल पंवार के इस्तीफे से खाली हुई राज्यसभा की एक सीट एक बार फिर से बीजेपी के पास जाती दिखाई दे रही है। ऐसे में इस एक सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी में कई दावेदारों के नामों की चर्चा हो रही है। इनमें भाजपा नेता प्रो. रामबिलास शर्मा, ओमप्रकाश धनखड़, ज्ञानचंद गुप्ता, संजय भाटिया और कुलदीप बिश्नोई के नाम चर्चा में हैं। हो सकता है कि अंदरखाते अन्य नेता भी लॉबिंग में जुटे हों मगर यह सीट किसके पास जाएगी, फिलहाल यह भविष्य के गर्भ में है। बहुमत नहीं होने के कारण विपक्ष की ओर से इस सीट के लिए किसी को प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना बहुत कम है।