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मध्य प्रदेश में महिला सुरक्षा को गंभीर खतरा : कमलनाथ

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भोपाल
मध्य प्रदेश में महिलाओं और बच्च्यिों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की घटनाओं को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चिंता जताते हुए राज्य सरकार पर हमला बोला है। उनका आरोप है कि राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर खतरा खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य में पिछले दिनों हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य दिन-प्रतिदिन महिलाओं और बच्चियों के लिए असुरक्षित प्रदेश बनता जा रहा है। पिछले दो महीने में जिस तरह से बच्चियों और महिलाओं के साथ बलात्कार एवं सामूहिक दुष्कर्म के मामले सामने आए हैं, उससे महिला सुरक्षा को लेकर अत्यंत गंभीर खतरा खड़ा हो गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं से बलात्कार के मामले में मध्य प्रदेश देश में तीसरे नंबर पर है। इस अवधि में मध्य प्रदेश में बलात्कार के 3,029 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा 3,049 महिलाएं छेड़खानी का शिकार हुई और 1445 महिलाएं शारीरिक शोषण का शिकार हुई। प्रदेश में पास्को से जुड़े अपराधों में 5,951 मामले दर्ज किए गए इनमें से बलात्कार के 3,641 मामले हैं। महिलाओं और नाबालिग से हुए बलात्कारों को देखें तो प्रदेश में हर दिन 18 बलात्कार हो रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि महिला अधिकारों के प्रति भारतीय जनता पार्टी की सरकार कितनी असंवेदनशील है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि पिछले चार वर्ष से राज्य महिला आयोग में अध्यक्ष का पद खाली पड़ा है। महिला आयोग में शिकायतों का अंबार लगता जा रहा है लेकिन सुनवाई करने के लिए वहां कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा किसी भी राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसा लगता है कि पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार में और अब डॉ मोहन यादव की सरकार में बेटियां लगातार असुरक्षित बनी हुई हैं। महिला सुरक्षा के मामले जब सरकार के सामने लाए जाते हैं तो उस पर कार्रवाई करने की बजाय भाजपा के नेता कुतर्क करने पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

बीते कुछ समय में हुई घटनाओं का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं से प्रदेश का सिर शर्म से झुक जाता हैं। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव स्वयं गृह मंत्री हैं, उन्हें इन मामले में सख्त कदम उठाना चाहिए और कानून व्यवस्था का ऐसा माहौल प्रदेश में तैयार किया जाए कि अपराधी इस तरह का कदम उठाने से भयभीत हों।