नई दिल्ली
ग्रीन हाइड्रोजन का ऐसा नया क्षेत्र है, जिसको लेकर दुनिया के अधिकांश देशों में जबरदस्त उत्साह है और इसे औद्योगिक प्रदूषण की मौजूदा समस्या के एक उचित समाधान के तौर पर देखा जा रहा है। भारत की अगुआई में हो रहे जी-20 की बैठक में भी सभी देशों के बीच ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर आपसी सहयोग बढ़ाने को लेकर वार्ता हो रही है।
ग्रीन हाइड्रोजन की परिभाषा में बदलाव को लेकर फंसा पेच
पिछले दिनों इस बारे में अहमदाबाद में हुई बैठक में ग्रीन हाइड्रोजन की परिभाषा में बदलाव को लेकर अमेरिका और कुछ विकसित देशों की तरफ से ऐसा प्रस्ताव आया है जिसको लेकर भारत बहुत सहज नहीं है। इस प्रस्ताव के तहत मांग की गई है कि कम कार्बन उत्सर्जित करने वाले कुछ ईंधन से भी अगर हाइड्रोजन बनाया जाता है तो उसे ग्रीन हाइड्रोजन की श्रेणी में रखना चाहिए। भारत इसके लिए तैयार नहीं है। इस बात की संभावना कम ही है कि भारत की अध्यक्षता में होने वाली जी-20 की बैठक में इस बारे में सहमति बन पाए।
जी 20 की बैठक में सहमति बनने की संभावना कम
ऊर्जा क्षेत्र के सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत पूरी तरह से इस बात का समर्थन करता रहेगा कि ग्रीन हाइड्रोडजन सिर्फ उसे ही माना जा सकता है जो पूरी तरह से पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा विकल्पों से तैयार हो। जैसे इसमें सिर्फ रिनीवेबल ऊर्जा का इस्तेमाल हो। दूसरी तरफ विकसित देश चाहते हैं कि कुछ दूसरे ऊर्जा विकल्पों से भी तैयार हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन माना जाए। भारत का कहना है कि इस तरह के ढीले रवैये से पर्यावरण की समस्या से नहीं लड़ा जा सकता। भारत ने हाल ही में देश में ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए तकरीबन 17,500 करोड़ रुपये की एक योजना को स्वीकृति दी है।
ईंधन के तौर पर किया जाता है ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल
किसी भी तरह की ऊर्जा का इस्तेमाल पानी के मालीक्यूल को हाइड्रोजन और आक्सीजन में बांटने के लिए किया जा सकता है। जब यह ऊर्जा रिनीवेबल क्षेत्र यानी सौर, पवन आदि से पैदा की गई हो तो इस प्रक्रिया से तैयार हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है। इस ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल एक ईंधन के तौर पर किया जा रहा है। क्योंकि इस प्रक्रिया में शुरू से ही ऐसी ऊर्जा का इस्तेमाल किया गया है जो कार्बन उत्सर्जित नहीं करती है।
प्राकृतिक गैस से बनाया जाता है हाइड्रोजन
मालूम हो कि अभी प्राकृतिक गैस से हाइड्रोजन बनाया जाता है जिसे ग्रे हाइड्रोजन कहा जाता है। बहरहाल, इस बारे में जी-20 में ऊर्जा सहयोग पर स्थापित कार्यबल के बीच फिर से बात होगी। हालांकि मामला इस वर्ष सुलझ पाएगा, इसकी संभावना कम ही है।