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राजस्थान के सभी 557 कॉलेजों में लगेंगे सौर ऊर्जा संयंत्र, 48 नोडल अधिकारी किये गए नियुक्त

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केकड़ी.

प्रदेश के समस्त राजकीय महाविद्यालय अब सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा की ओर से कॉलेजों को सौर ऊर्जा युक्त करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए प्रदेश भर में 48 नोडल अधिकारी नियुक्त कर कॉलेजों में सौर ऊर्जा की वर्तमान स्थिति सहित अन्य जानकारी एकत्रित की जा रही है।

इसके अंतर्गत राज्य के सभी 557 यूजी पीजी कॉलेज में रूफटॉप सौर ऊर्जा प्लांट की स्थापना की जाएगी। राज्य सरकार ने इसके लिए अक्षय ऊर्जा निगम को अधिकृत किया है। राज्य सरकार द्वारा पारंपरिक हाइड्रो और तापीय बिजली के अलावा सरकार ने सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुसुम योजना, पीएम सूर्योदय सहित कई योजनाएं चालू की हैं। इसके जरिए आम उपभोक्ता भी अपने घर व प्रतिष्ठान को सौर ऊर्जा युक्त कर सकता है।

राज्य के 20 प्रतिशत कॉलेजों में है सौर ऊर्जा
वर्तमान में प्रदेश के महज 20 प्रतिशत कॉलेज में ही रूफटॉप सौर पैनल लगे हैं। अभी भी 80 प्रतिशत कॉलेज जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम की बिजली पर निर्भर हैं। सरकार ने सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सभी कॉलेज में रूफटॉप सौर पैनल लगाने की घोषणा की है। हालांकि बीते एक-दो सालों में आमजन में सौर ऊर्जा उत्पादन के प्रति जागरूकता बढ़ी है, लेकिन इसका दायरा अभी भी बहुत सीमित है। इसी दायरे को बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने अब कॉलेज शिक्षा निदेशालय के अधीन 557 यूजी-पीजी कॉलेज में रूफटॉप सौर ऊर्जा पैनल स्थापित करने का फैसला किया है।

48 नोडल अधिकारी नियुक्त
आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा के संयुक्त निदेशक डॉ. विजेंद्र कुमार शर्मा ने रूफटॉप सौर पैनल लगाने के लिए प्रदेश के 48 कॉलेज को नोडल बनाया है। नोडल अधिकारी विभिन्न कॉलेज में सौर ऊर्जा पैनल, प्लांट, लोड क्षमता और अन्य जानकारी देंगे।

सरवाड़ व टांटोती कॉलेज में लगेंगे संयंत्र
यह जानकारी देते हुए राजकीय महाविद्यालय केकड़ी के कार्यवाहक प्राचार्य चेतनलाल रैगर ने बताया कि केकड़ी जिला मुख्यालय पर स्थित राजकीय महाविद्यालय में पहले से ही सौर ऊर्जा का संयंत्र स्थापित है, लेकिन नोडल कॉलेज होने के कारण जिले के सावर, सरवाड़ गर्ल्स कॉलेज, टांटोटी व कादेड़ा कॉलेज भी इसके अधीन आते हैं। इनमें सरवाड़ व टांटोटी की खुद की बिल्डिंग होने से कॉलेज प्रशासन को सौर ऊर्जा संयंत्र का प्रस्ताव बनाकर भेजने के निर्देश दिए गए हैं। जबकि कादेड़ा व सावर में कॉलेज की खुद की बिल्डिंग नहीं है, इसलिए यहां फिलहाल सौर ऊर्जा का संयत्र स्थापित नहीं हो सकेगा।