महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुरक्षित रखे गए फैसले को लेकर चल रही अटकलों से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। भावी स्थितियों को भांपते हुए जहां भाजपा और एनसीपी नेता अजित पवार की नजदीकियां बढ़ रही हैं और शरद पवार की दिक्कतें भी। सकते में शिवसेना का शिंदे गुट भी है, जिसे अजित पवार व भाजपा के बीच अंदरूनी तौर पर चल रही जुगलबंदी रास नहीं आ रही है।
महाराष्ट्र के मौजूदा घटनाक्रमों में सत्तारूढ़ भाजपा व शिवसेना (शिंदे गुट) के साथ एनसीपी में काफी हलचल है। भाजपा ने भावी स्थितियों के मद्देनजर एनसीपी नेता अजित पवार से संपर्क बनाया हुआ है, ताकि अदालत के फैसले मौजूदा सरकार प्रभावित होती है तो नए विकल्पों के साथ सत्ता बरकरार रखी जा सके। अगर अदालत का फैसला शिंदे गुट के 16 विधायकों के खिलाफ जाता है तो भाजपा को सरकार बचाए रखने के लिए अजित पवार की जरूरत पड़ सकती है।
दरअसल, एनसीपी नेता शरद पवार भाजपा के खिलाफ हैं और अगर अजित पवार भाजपा के साथ जाने की सोचते हैं तो उनको पार्टी के 53 विधायकों में से दो तिहाई विधायक तोड़ने पड़ेंगे। अजित को अपनी पार्टी में समर्थन तो हासिल है, लेकिन अभी अधिकांश विधायक शरद पवार के खिलाफ नहीं जाना चाहते हैं। दूसरी तरफ सत्तारूढ़ शिवसेना गुट भी विषम परिस्थितियां आने पर सरकार बचाने के लिए एनसीपी को साथ लेने के खिलाफ है। ऐसे में भाजपा का सारा अभियान अंदरूनी तौर पर ही चल रहा है।
भाजपा व अजित पवार की नजदीकियों को देखते हुए शरद पवार भी मुखर हो गए हैं। उन्होंने अगला चुनाव महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के साथ लड़ने पर साफ कर दिया है कि अभी वह महाविकास अघाड़ी (शिवसेना (उद्धव), कांग्रेस व एनसीपी) के साथ है और रहना भी चाहते हैं, लेकिन इच्छा ही सब कुछ नहीं होती है। अगले चुनाव में साथ होगा या नहीं होगा कहा नहीं जा सकता है। इसके पहले सुप्रिया सुले ने कहा था कि अगले 15 दिनों में दो बड़े धमाके होंगे, एक महाराष्ट्र में और दूसरा दिल्ली में।
इन हालातों में भाजपा की उलझनें भी बढ़ी हुई हैं। वह अभी कर्नाटक चुनावों में व्यस्त है। वह नहीं चाहती है कि कर्नाटक के चुनाव के पहले फैसला आए। अगर पहले फैसला आता है और उसके खिलाफ जाता है तो उसे नया मोर्चा खोलना पड़ सकता है। कर्नाटक के चुनाव हो जाने पर किसी भी स्थिति से निपटने में ज्यादा आसानी होगी।
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट में जून 2022 में तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहुमत सिद्ध करने का आदेश दिए जाने के फैसले को चुनौती दी गई थी। इसके अलावा शिंद गुट के 16 विधायकों को स्पीकर द्वारा अयोग्यता का नोटिस दिए जाने के मामले पर सर्वोच्च अदालत को फैसला देना है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय पीठ ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा है।