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सीधी के घूघा में एक ऐसी पाठशाला है जो बिना किसी नियमित शिक्षक के चल रही

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 सीधी
 सीधी जिले का प्रशासन लंबे समय से यह दावा कर रहा है कि जिले में कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है। इन सब दावों से हटकर सीधी जिले के ग्राम घूघा में एक ऐसी पाठशाला है जो बिना किसी नियमित शिक्षक के चल रही है। ऐसे में जिस प्राथमिक पाठशाला में पिता प्रभारी शिक्षक है, तो बेटा उसी को स्कूल में अतिथि शिक्षक के तौर पर मास्टर साहब बना हुआ है।

छात्रों की संख्या 13, लेकिन स्कूल आते सिर्फ दो

इस विद्यालय का संचालक मात्र दो अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं उससे भी बड़ी बात यह है कि इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 13 है लेकिन स्कूल आने वाले छात्रों की संख्या सिर्फ दो है। इस स्कूल में दो रसोईया भी है जो बच्चों के लिए खाना बनाते हैं अब ऐसे में बेहतर स्कूल बेहतर शिक्षक का दावा करने वाली सरकार के दावों की कलई खुलती नजर आती है कि इस विद्यालय में नियमित शिक्षक क्यों नहीं है।

दो बच्चे, दो अतिथि शिक्षक और दो रसोईए आते हैं

विद्यालय में पढ़ने वाले सभी 13 छात्र स्कूल क्यों नहीं आते यह बड़ा सवाल है वही दो बच्चों को पढ़ाने और दो अतिथि शिक्षक और उन्हें भोजन खिलाने दो रसोईए स्कूल इसलिए आते हैं कि उन्हें अपने वेतन और मानदेय से मतलब है और शायद इसीलिए यह स्कूल आज तक संचालित है वरना इस स्कूल का क्या फायदा इस प्राथमिक स्कूल की समस्या को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

नियमित शिक्षक न होने के सवाल पर वह गोल-माल जवाब

जब जिला शिक्षा अधिकारी पीएल मिश्रा से जानकारी चाहि तो उन्होंने भी स्कूल की जांच करने की बात कही वही स्कूल में नियमित शिक्षक न होने के सवाल पर वह गोल-माल जवाब देते नजर आए जिला शिक्षा अधिकारी के बयान के बाद यह बात तो स्पष्ट हो जाती है कि जिले में शिक्षक विहीन शाला न होने का दवा अभी पूरा नहीं हुआ है जिस दिन यह दाबा पूरा हो जाएगा उस दिन से स्कूलों में ना आने वाले सभी छात्र शायद पढ़ते भी आने लगेंगे।

प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पूरी तरीके से चौपट

बहरहाल सीधी जिले में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पूरी तरीके से चौपट हो गई है आलम यह है कि इस स्कूल जैसे दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में न जाने और ऐसी कितनी स्कूल है सिर्फ कागज में दर्जन भर छात्र और शिक्षक विहीन शालाएं शिक्षा विभाग के अफसर के फाइलों में संचालित हो रही हैं, जिसकी कलाई जांच मीडिया की जीरो ग्राउंड रिपोर्टिंग के दरमियान सामने आ गई है।

पिता प्रभारी शिक्षक, बेटा उसी स्कूल में अतिथि शिक्षक

ऐसे में जिस प्राथमिक पाठशाला में पिता प्रभारी शिक्षक है तो बेटा उसी स्कूल में अतिथि शिक्षक के तौर पर मास्टर साहब बना हुआ है जो कागज में 13 छात्र लेकिन जमीनी हकीकत में सिर्फ दो छात्रों को शिक्षा दीक्षा दे रहा है ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के शिक्षा विभाग अपने कर्तव्य में लापरवाही करतें हुए व्यक्तिगत स्वार्थ और अपनों को आर्थिक लाभ पहुंचाने में लगा हुआ है उसे बच्चों के भविष्य से कोई सरोकार नहीं है।