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महाशिवरात्रि पर जटाशंकर मंदिर में उमड़ेगा आस्था का सैलाब, संतान प्राप्ति की कामना लेकर दूर-दराज से हर साल पहुंचते है भक्त

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डोंगरगढ़ । महाशिवरात्रि के अवसर पर 4 मार्च को शिव देवालयों में भगवान भोलेनाथ की आराधना की जाएगी। शिवरात्रि के मौके पर मां बम्लेश्वरी उपर पहाड़ी के दक्षिण दिषा में स्थित जटाशंकर मंदिर में भी आस्था का मेला लगेगा। पर्व को लेकर जटाषंकर मंदिर ट्रस्ट समिति ने तैयारी कर ली है। जटाशंकर मंदिर की मान्यता है कि यहां पर नि:संतान दंपति संतान प्राप्ति की कामना लेकर महाशिवरात्रि व सावन के महीनें में अर्जी लेकर पहुंचते है। जटाशंकर मंदिर पहाड़ी में स्थित है, जहां पर अभी पहुंचने के लिए बांस डिपो से रास्ता बनाया गया है। पहाड़ के उपर में एक विषालकाय चट्टान शिवलिंग की तरह परिभाषित होता है। साथ ही उपर में बड़ा मैदान भी है, यहां पर एक साथ पांच हजार लोग एकत्रित हो सकते है। मंदिर समिति के अध्यक्ष बीडी दत्ता ने बताया कि 4 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। हर साल दर्शन करने जिले के अलावा प्रदेश के अन्य हिस्सों से भगवान षिव के भक्त जटाशंकर धाम पहुंचते है। मंदिर पहुंचने के लिए स्थाई सीढ़ीयों का निर्माण फिलहाल नहीं हुआ है, लेकिन सीढ़ी निर्माण के लिए कवायद की जा रही है। पहाड़ के चट्टान में भिमालेपन की मूर्ति भी है, जो शंभू गवरा के समकालीन थी। इसके भी अलौकिक दर्शन किया जा सकता है। दर्शन करनें आनें वालें भक्तों के लिए पेयजल आदि की व्यवस्था मंदिर समिति की ओर से की जाएगी। मंदिर की जुड़ी किवदंतियों को देखनें लोगों का सैलाब महाशिवरात्रि पर्व में उमड़ेगा। योग स्थल बनानें की भी तैयारी, चल रहा मंथन- जटाशंकर मंदिर के पहाड़ में विषाल मैदान को देखते हुए शासन यहां पर योग स्थल बनाने की तैयारी कर रहा है। मंदिर के ठीक नीचे गाजमर्रा पंचायत की जमीन में एक एडवेंचर पार्क भी तैयार हो चुका है। जहां पर पर्यटकों को एडवेंचर्स प्रोग्राम करने व मनोरंजन के संसाधन उपलब्ध होंगे। एडवेंचर पार्क के बाद पहाड़ी में एक बड़ा योग स्थल बनाने की तैयारी है। जिसका प्रपोजल शासन को भेजा जा चुका है। पहाड़ी में दुर्लभ जड़ी-बूटी के पौधें भी रोपे जाएंगे। पहाड़ी के मैदान में एक साथ बैठ सकते है पांच हजार लोग- इस पहाड़ी के ऊपर एक विषाल मैदान है। यहां पर एक साथ करीब 5000 लोग बैठ सकते हैं। शंभू महादेव के त्रिशूल मार्ग में आस्था रखने वाले विचारकों का मत है कि यहां बैठकर सभी अनुयायी शंभू महादेव के द्वारा बताये हुए जीवन के लिए परम उपयोगी एवं कल्याणकारी त्रिषूल मार्ग का श्रवण किया करते थे। त्रिशूल मार्ग के श्रवण से लोग महाज्ञानी, योगसिद्ध, और शक्तिशाली बनते थे। इस प्रकार यह स्थान आदिकाल से बहुत ही पवित्र एवं वंदनीय रहा है। तपस्वी तालाब में तपस्वी ऋशि करते थे आराधना- पहाड़ी से थोड़ी दूरी पर तपस्वी मंदिर से लगा हुआ यहां एक तालाब है। जिसका जल बहुत ही विलक्षण है। क्योंकि इस तालाब के जल में स्नान कर अनेक तपस्वी अपनी साधना पूर्ण करते रहे हैं। मां बम्लेष्वरी देवी की पहाड़ी भी अनेक रहस्यमयी जड़ी बूटियों से लबरेज है। बरसात के समय में बर्षा का पानी इन जड़ी बूटियों से मिलकर इस तालाब में उतरता है। इस प्रकार इस तालाब का पानी आयुर्वेदिक औषधियों के रस व तपस्यिों के स्नान मात्र से ही रहस्यमयी एवं चमात्कारित रूप लिए हुए है। ऐसी की कई किवदंतियां मंदिर से जुड़ी हुई है।