लखनऊ
निकाय चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए लोकसभा की जंग में मजबूत प्रत्याशियों की तलाश का काम आसान करेंगे। पार्टी ने अपने इलाकाई क्षत्रपों को प्रत्याशियों की जीत का जिम्मा दिया है। अगले साल लोकसभा चुनाव में उनके लिए टिकट पक्का करना आसान हो सकता है। बूथ प्रबंधन के काम में लगाए गए लोकसभा प्रभारियों की टिकट की राह भी इसी तरह खुल सकती है।
सपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में मुख्य सचेतक मनोज पांडेय को रायबरेली के साथ-साथ वाराणसी का जिम्मा दिया गया है। हाल में अपने बयानों से चर्चा में स्वामी प्रसाद मौर्य की प्रतिष्ठा कुशीनगर में दांव पर है। वह खुद चुनाव मैदान में नहीं हैं लेकिन उनके असर व रसूख का इम्तहान होना है। पूर्व कैबिनेट मंत्री व विधायक ओपी सिंह के जिम्मे वाराणसी में महापौर व पार्षद चुनाव में सपा प्रत्याशियों की जीत को सुनिश्चित करना है। पार्टी विधायक आशु मलिक अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं। उनके भाई नूर हसन मलिक मेयर का चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप को लखनऊ में पार्टी प्रत्याशी वंदना मिश्रा के चुनाव प्रचार संचालन का जिम्मा दिया गया है। अखिलेश यादव ने तमाम जगह अनुभवी लोगों को मेयर व नगर पालिका चुनाव के लिए क्षेत्रवार जिम्मा दिया है। शिवपाल यादव के बेटे आदित्य उर्फ अंकुर यादव को इटावा को जिम्मा दिया गया है।
लोकसभा प्रभारी बन सकते हैं प्रत्याशी अखिलेश ने जून में बूथ कमेटियां गठित कराने के लिए लोकसभा क्षेत्रवार प्रभारी नियुक्त किए हैं। कई सीटों पर एक से ज्यादा प्रभारी हैं। कहीं-कहीं एक ही नेता को कई जगह प्रभारी बनाया गया है। राम अचल राजभर घोसी व बलिया दोनों के प्रभारी हैं। इसी तरह राम गोविंद चौधरी, अम्बिका चौधरी को भी लोकसभा चुनाव के लिए उतारा जा सकता है। फर्रुखाबाद के प्रभारी चंद्रभूषण सिंह व हाथरस प्रभारी रामजी लाल सुमन दोनों सांसद रह चुके हैं। धौरहरा में नरेंद्र वर्मा, सिद्धार्थनगर में माता प्रसाद पांडेय, मथुरा में उदयवीर सिंह व संजय लाठर लोकसभा प्रभारी का काम कर रहे हैं। संभव है कि इनमें कुछ लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिल जाए।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जब तक भाजपा सत्ता में है, जनता को सुख शांति से जीने का मौका नहीं मिलेगा। जनता ने भी यह मन बना लिया है कि वह निकाय चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त देगी।