भोपाल
प्रदेश में जिन विभागों द्वारा पब्लिक डोमेन में डेटा संबंधी जानकारी अपलोड करने में आनाकानी की जा रही है और उसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है, उन विभागों को यह बताना होगा कि आखिर संबंधित विषय वस्तु का डेटा उपलब्ध क्यों नहीं कराया जा रहा है? इसके साथ ही इसकी जानकारी से प्रदेश के राज्य सांख्यिकी आयोग को भी अवगत कराना होगा।
विभागों को जिला और प्रदेश स्तर का पांच साल का डेटा वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। राज्य सांख्यिकी आयोग ने अनुशंसा के साथ यह निर्देश आधा दर्जन विभागों के प्रमुख सचिवों और आयुक्त व संचालकों को दिए हैं। प्रमुख सचिव किसान कल्याण व कृषि विकास, उद्यानिकी, पशुपालन, वन, जल संसाधन, खनन और उत्खनन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग को लिखे पत्र में इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य सांख्यिकीय प्रणाली में सुधार पर सलाह देने के लिए आयोग का गठन किया गया है।
इसलिए विभागों को चाही गई जानकारी उपलब्ध कराना है। प्रदेश के सभी विभागों में डेटा सिस्टम को वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान में लेने की अनुशंसा करते हुए आयोग ने कहा है कि प्रशासनिक डेटा सेट को जिला स्तर या निचले स्तर पर पठनीय और डिजिटल स्वरूप देना अफसरों की जिम्मेदारी है। यह डेटा पांच सालों का उपलब्ध होना चाहिए। आयोग ने सभी विभागों से कहा है कि 30 अप्रेल तक आयोग की सिफारिशों पर एक्शन लेकर और इसके क्रियान्वयन की रिपोर्ट आयोग को उपलब्ध कराएं। आयोग आने वाले समय में एक एडवांस रिलीज कैलेंडर तय करेगा जिसमें रिलीज का नाम, तारीख, प्रकाशन और अन्य जानकारी शामिल रहेगी।
आयोग की प्रमुख अनुशंसाएं
आयोग ने जो अनुशंसाएं प्रमुख रूप से की हैं, उसके मुताबिक डेटा संग्रह के लिए पोर्टल, एप की निगरानी के साथ उसमें योजनाओं की डिटेल होना चाहिए। इसकी इंटर लिंकेज भी भारत सरकार के विभागों के साथ हो। जिला और उपजिला स्तर पर डेटा साझा करने की जानकारी भी दी जाए। मानव संसाधन की उपलब्धता, समकालीन उपकरणों के उपयोग की एनालिसिस रिपोर्ट, भविष्य की योजनाएं भी पोर्टल पर हों। आयोग ने कहा है कि सभी विभाग अपनी डेटा सिस्टम की समीक्षा करेंगे और प्रशासनिक, संस्थागत इंफ्रास्ट्रक्चर की जानकारी दी जाए जिसमें सरकारी के साथ संविदा मानव संसाधन भी शामिल हो। योजना की प्रगित और सूचना का स्त्रोत भी बताया जाए।