भोपाल
प्रदेश का नया मुख्य सचिव कौन होगा, इसको लेकर चल रही अटकलों पर सितंबर में विराम लग जाएगा। 30 सितंबर को मुख्य सचिव वीरा राणा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इसके पहले ही सरकार विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी बना सकती है, जो एक अक्टूबर को वीरा राणा का स्थान लेगा।
मुख्य सचिव पद के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर पदस्थ अनुराग जैन के साथ अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा और डॉ. राजेश राजौरा का नाम चर्चा में है। शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव के समय वरिष्ठता के आधार पर प्रदेश में उपलब्ध वरिष्ठ अधिकारी वीरा राणा को मुख्य सचिव पद का प्रभार दिया था। मोहन सरकार ने उन्हें इस पद पर नियमित किया।
लोकसभा चुनाव को देखते हुए उनके सेवानिवृत्त (31 मार्च 2024) होने के पहले केंद्र सरकार से अनुरोध करके 6 माह की सेवावृद्धि दिलवाई, जो 30 सितंबर को पूरी हो रही है। अब चुनाव जैसी कोई परिस्थिति नहीं है इसलिए मुख्यमंत्री की प्राथमिकता ऐसे अधिकारी को मुख्य सचिव बनाने की होगी, जिसे काम करने के लिए पर्याप्त समय मिले।
इन अधिकारियों के नाम चर्चा में
इस दृष्टि से केंद्रीय प्रतिनियुक्त पर पदस्थ अनुराग जैन, कृषि उत्पादन आयुक्त मोहम्मद सुलेमान और डा.राजेश राजौरा के नाम चर्चा में हैं। जैन अगस्त 2025, सुलेमान जुलाई 2025 और डा.राजौरा मई 2027 में सेवानिवृत्त होंगे। वहीं, 1989 बैच के दो अधिकारी विनोद कुमार मई 2025 और जेएन कंसोटिया अगस्त 2025 में सेवानिवृत्त होंगे पर दोनों की पदस्थापना इस समय मंत्रालय से बाहर है, इसलिए इन्हेें दौड़ से बाहर माना जा रहा है।
उधर, सरकार में गृह, जेल और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व संभाल रहे अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा जनवरी 2025 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अनुराग जैन की यदि प्रदेश वापसी की स्थिति नहीं बनती है तो फिर मुख्य सचिव पद की दावेदारी में डॉ. राजौरा ही आगे नजर आ रहे हैं। मोहम्मद सुलेमान से स्वास्थ्य विभाग लेकर कृषि उत्पादन आयुक्त बनाए जाने से उनकी दावेदारी कमजोर पड़ी है।
वीरा राणा बनाईं जा सकती हैं राज्य निर्वाचन आयुक्त
सूत्रों का कहना है कि यदि वीरा राणा को सेवावृद्धि दिलाने की स्थिति न बनी तो उन्हें अक्टूबर में राज्य निर्वाचन आयुक्त बनाया जा सकता है। यहां पदस्थ पूर्व मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका है। राज्य निर्वाचन आयुक्त (सेवा शर्तें) नियम 1994 में प्रावधान है कि कार्यावधि समाप्त होने के बाद उत्तराधिकार की नियुक्ति होने और उसके पदभार ग्रहण करने तक पद पर बने रहेंगे परंतु यह अवधि छह माह से अधिक नहीं होगी।