श्योपुर.
मध्यप्रदेश के श्योपुर में स्थित कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) के खुले जंगल से नामीबियाई चीता ओबान एक बार फिर भाग निकला है. इस बार वह शिवपुरी के जंगल से होकर माधव नेशनल पार्क में पहुंचा है. उसकी लोकेशन माधव पार्क के उत्तरी क्षेत्र में चिटौरा-चिटौरी रेंज में मिली है. चीता काफी समय तक पेड़ की छांव में आराम करता नजर आया.
अधिकारियों का कहना है कि माधव नेशनल पार्क (Madhav National Park) में टाइगर और तेंदुआ भी हैं. ऐसे में चीते ओबान का इनसे आमना-सामना हो सकता है. ऐसी स्थिति में चीते को खतरा भी हो सकता है. इसको लेकर कूनो नेशनल पार्क प्रबंधन अलर्ट मोड पर है. प्रबंधन चीता ओबान के हर मूवमेंट की खबर वरिष्ठ अफसरों को दे रहा है.
चीते की निगरानी के लिए कूनो की एक टीम 12-12 घंटे की शिफ्ट में गाड़ी के साथ मौजूद है. उनकी मदद के लिए माधव नेशनल पार्क की टीम भी लगी हुई है. अधिकारियों का कहना है कि जब तक वहां इंसानों की मौजूदगी रहेगी, तेंदुए नहीं आएंगे. ओबान वयस्क चीता है और वयस्क चीते को तेंदुए से अधिक खतरा नहीं रहता है. फिलहाल दो गाड़ियां मौजूद हैं तो तेंदुआ नहीं आएगा. यहां बैकअप के लिए भी एक गाड़ी रिजर्व रखी गई है.
कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) के DFO प्रकाश कुमार वर्मा ने कहा कि जिस इलाके में चीता ओबान पहुंचा है, वहां वह पूरी तरह सुरक्षित है. उस इलाके में टाइगर नहीं हैं. इसलिए अभी ओबान को रेस्क्यू किए जाने की आवश्यकता नहीं है. साथ ही इस इलाके में चीतों के लिए खाने पीने की भी कोई कमी नहीं है.
चीता प्रोजेक्ट से जुड़े रहे वायबी झाला ने जताई खतरे की आशंका
वहीं चीता प्रोजेक्ट (Cheetah Project) से जुड़े रहे डब्ल्यूआईआई के पूर्व डीन वायबी झाला ने फोन पर बताया कि चीता के लिहाज से माधव नेशनल पार्क अच्छी जगह है. वहां भी चीतों को लेकर सर्वे किया गया था. उस वक्त माधव नेशनल पार्क में भी चीता छोड़ने की योजना थी. चीता को माधव नेशनल पार्क में तब तक कोई दिक्कत नहीं है, जब तक उसका सामना टाइगर से न हो.
'टाइगर को पहली बार देखेगा, इसलिए रिएक्शन क्या होगा, कह नहीं सकते'
वायबी झाला का यह भी कहना है कि ये नामीबियाई चीते (Namibian cheetahs) जहां से आए हैं, वहां पर वह शेरों के साथ तो रहते रहे हैं और उनको उनसे बचने की कला भी आती है, लेकिन टाइगर को वह पहली बार देखेगा. ऐसे में उसका रिएक्शन क्या होगा, परिणाम क्या होंगे, यह कहना मुश्किल है. ऐसे में रिस्क तो है ही. चीता की जान काे भी खतरा हो सकता है, लेकिन पार्क प्रबंधन और प्रोजेक्ट से जुड़े अफसर इस पर विचार कर ही रहे होंगे और जरूरी कदम उठाए जा रहे होंगे.