रांची.
झारखंड सरकार के डॉक्टरों ने मंगलवार को बायोमेट्रिक से हाजिरी की प्रणाली का विरोध किया। डॉक्टरों ने बायोमेट्रिक प्रणाली को इमरजेंसी स्थिति में व्यवहारिक न होने की बात कही। डॉक्टरों ने अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचकर बायोमेट्रिक उपस्थिति न लगाकर रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए।
झारखंड सरकार ने 11 अगस्त को अस्पतालों में सरकरी डॉक्टरों की बायोमेट्रिक हाजिरी की व्यवस्था शुरू करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद डॉक्टर इस व्यवस्था के विरोध में उतर आए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और झारखंड स्वास्थ्य सेवा संघ (जेएचएसए) की बैठक में इसका विरोध करने का निर्णय लिया गया। झारखंड स्वास्थ्य सेवा संघ के राज्य सचिव मृत्युंजय ठाकुर सिंह ने कहा कि सरकारी आदेश में आपातकालीन सेवाओं के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। बायोमेट्रिक सिस्टम में सामान्य कर्मचारियों के लिए सुबह 10.30 बजे से शाम 5 बजे तक ड्यूटी का समय तय है, जबकि सचिवालय कर्मचारियों के लिए सुबह 10.30 बजे से शाम 6 बजे तक ड्यूटी का समय है। मगर डॉक्टर इस समय सीमा में काम नहीं करते हैं। कोई डॉक्टर आपातकालीन स्थिति में अतिरिक्त घंटे काम करता है तो क्या उसे सेवा के लिए भुगतान किया जाएगा? इस बारे में भी कोई जिक्र नहीं है। झारखंड आईएमए के सचिव प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि यह आदेश पुलिस और चिकित्सा जैसी आपातकालीन सेवाओं में कार्यरत डॉक्टरों पर लागू नहीं किया जाना चाहिए। डॉक्टरों के ड्यूटी के घंटे तय नहीं हैं। अगर कोई डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में गंभीर सर्जरी में लगा हुआ है तो वह बायोमेट्रिक नियमों का पालन नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि सिस्टम में तकनीकी खामियां भी हैं। अगर किसी डॉक्टर को वीआईपी ड्यूटी पर तैनात किया गया है, तो वह अपनी उपस्थिति कैसे दर्ज करेगा? बायोमेट्रिक सिस्टम में केव इन और आउट दिखाता है। यदि कोई डॉक्टर रात की पाली में है और वह अपनी उपस्थिति दर्ज करता है, तो यह इन दिखाएगा। सुबह उसकी ड्यूटी खत्म हो जाएगी और सिस्टम फिर से इन दिखाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के कई इलाकों में अभी भी उचित स्पीड वाला इंटरनेट नहीं है। इन जगहों पर दिक्कत हो सकती है। रांची सदर अस्पताल के सर्जन डॉ. अजीत कुमार ने कहा कि आपातकालीन सेवाओं को आदेश से बाहर रखा जाना चाहिए, क्योंकि इससे मरीज को परेशानी होगी।