नई दिल्ली.
ओला-उबर जैसी मोबाइल ऐप आधारित टैक्सी अब व्यस्त समय में ग्राहकों से अधिक किराया (सर्ज चार्ज) नहीं ले सकेंगी। परिवहन विभाग ने ऐप आधारित टैक्सी संचालकों के लिए तैयार नीति में सर्ज चार्ज के प्रावधान को हटा दिया है। संचालकों को सरकार की ओर से तय किराये के हिसाब से ही टैक्सी चलानी होगी। दिल्ली में ऐप आधारित चार पहिया, तिपहिया और दुपहिया संचालकों के लिए एग्रीगेटर नीति को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इसी सप्ताह इस पर जनता की राय ली जाएगी। पहले इसमें प्रावधान था कि टैक्सी संचालक तय किराये से अधिकतम दोगुना तक सर्ज चार्ज वसूल सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत खुद इससे असहमत थे। सवाल उठा कि यदि ऐप आधारित टैक्सी संचालकों को सर्ज प्राइसिंग की मंजूरी दी जाती है तो फिर अन्य टैक्सी चालक जिनका किराया सरकार तय करती है, उन्हें किराया बढ़ाने की अनुमति क्यों ना दी जाए? इस कारण अब यह प्रावधान खत्म किया जा रहा है। नीति बनने के तीन महीने के भीतर चल रहे वाहनों का पंजीकरण नहीं कराने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। अगर टैक्सी के रूप में चल रहे वाहन की जानकारी तय समय में विभाग को नहीं दी गई तो 15 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।
क्या है सर्ज प्राइसिंग
अगर किसी एक जगह पर टैक्सी बुकिंग की मांग बहुत ज्यादा आ रही है और मांग के अनुरूप टैक्सी कम हैं तो उसका किराया बढ़ा दिया जाता है। यानी, अधिक भुगतान करने वाले ग्राहक को ही टैक्सी सेवा दी जाती है। इसे सर्ज चार्ज या सर्ज प्राइसिंग कहते हैं। यह ज्यादातर पीक आवर्स (सुबह सात से 11 और शाम पांच से आठ बजे के बीच) या फिर देर रात लागू होता है, जब सड़कों पर टैक्सियों की उपलब्धता कम होती है।
शेयरिंग नहीं होगी
दिल्ली सरकार कैब शेयरिंग का प्रावधान भी खत्म करेगी। सूत्रों की मानें तो मोटर वाहन ऐक्ट के प्रावधानों के चलते यह संभव नहीं हो पाया है। टैक्सी को कांट्रैक्ट कैरिज के तहत परमिट दिया जाता है। इसके अंतर्गत वाहन पूरे बुक होते हैं। सीट नहीं बेची जा सकती है।