ग्वालियर
सभी मानकों को पूरा कर ग्वालियर में तैयार राष्ट्रीय ध्वज केरल कर्नाटक समेत 16 राज्यों में फहराया जाएगा। अब तक 12 हजार 500 तिरंगे तैयार कर इन राज्यों में भेजे जा चुके हैं। मध्य भारत खादी संघ अब तक 14 राज्यों में इनको भेजता था। इस बार दो राज्य बढ़ गए।
सेल और उत्पादन में बढ़ोतरी
ग्वालियर में तैयार होने वाले राष्ट्रीय ध्वज की सेल और उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। पिछले साल के मुकाबले इस साल 5000 ज्यादा आर्डर मिले। इस बार केरल और कर्नाटक राज्यों ने तिरंगे के आर्डर भेजे। 14 अगस्त तक भारत खादी संघ ग्वालियर से 16 राज्यों में 12 हजार 500 तिरंगे भेजे जा चुके हैं। मध्य भारत खादी संघ द्वारा बनाए जाने वाले यह तिरंगे खादी ग्रामोद्योग आयोग भारत सरकार को जाते हैं। यहां से ये तिरंगे सचिवालय, लाल किला, राष्ट्रपति भवन सहित सभी सरकारी कार्यालय में भेजे जाते हैं। संघ में 196 लोगों की टीम इन तिरंगों को तैयार करती है।
उच्च मानक वाला तिरंगा होता है तैयार
देश में केवल तीन ही ऐसे संस्थान हैं, जहां उच्च मानक वाला तिरंगा तैयार किया जाता है। इनमें से एक ग्वालियर शहर का मध्य भारत खादी संघ है। जहां ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड का ISI प्रमाणित भारतीय तिरंगा बनता है। झंडा बनने की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है। इसमें कपास की कताई, बुनाई, डाई सहित नौ मानकों पर खरा उतरने के बाद एक तिरंगा झंडा आकार लेता है।
55 दिन की मेहनत के बाद तैयार होता है तिरंगा
धागे से झंडा बनने के इस सफर में कई कारीगरों और बुनकरों की कला के साथ ही 55 दिन की कड़ी मेहनत भी लगती है। ग्वालियर के मध्य भारत खादी संघ में बने भारतीय तिरंगा देश में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक फहराया जा चुका है।
इन राज्यों में जाते हैं तिरंगे
मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, बंगाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश शामिल हैं। मध्य भारत खादी संघ की यूनिट में रोज 150 झंडे बन रहे हैं। यहां धागा कातने से लेकर, स्टेचिंग, कटिंग, कलर आदि का काम चल रहा है। खादी संघ पिछले 25 साल से तिरंगा झंडा तैयार कर रहे हैं। वहीं बीआइएस का लाइसेंस 2016 से मिला है।