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‘बांग्लादेश में हिंदुओं हो रहे अत्याचारों को दर्ज करना उतना ही जरूरी…’, बोले सदगुरु

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नईदिल्ली

बांग्लादेश में तख्तापलट और शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद भी हालात सुधरने और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु ने बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत पर प्रतिक्रिया दी है और कहा कि इस घृणित हिंसा को तुरंत रोकना चाहिए. उन्होंने कहा कि हाल के समय में जो बॉर्डर (सीमाएं) खींची गई हैं, वो निरपेक्ष नहीं हैं.

उन्होंने बांग्लादेश में हो रहीं हिंसा पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "बांग्लादेश में घिनौने अत्याचारों पर तत्काल रोक लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन इन अत्याचारों को विस्तार से दस्तावेज करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. हाल के समय में खींची गई राष्ट्रीय सीमाएं निरपेक्ष नहीं हैं. सांस्कृतिक संबंध और सभ्यतागत जुड़ाव कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. भारत को सिर्फ सीमा की तर्कसंगतता से नहीं बंधना चाहिए, बल्कि 75 वर्ष से अधिक पुरानी सभ्यता की व्यापक वास्तविकताओं से बंधना चाहिए."

'अल्पसंख्यकों की सुरक्षा है पहला बहुसंख्यक का कर्तव्य'

वहीं, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के गृह मामलों के सलाहकार ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन ने सोमवार को अल्पसंख्यकों के साथ हो रही हिंसा पर बोलते हुए कहा, 'हमने निर्देश दिया है. हमारे अल्पसंख्यक भाइयों की सुरक्षा करना बहुसंख्यक समुदाय का सबसे पहला कर्तव्य है. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं और इसके बजाय मस्जिद में नमाज पढ़ने में व्यस्त रहते हैं तो उन्हें जवाब देना होगा कि वे सुरक्षा प्रदान करने में विफल क्यों रहे.'

उन्होंने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारियों से हाल की हिंसा के दौरान कानून लागू करने वालों से लूटी गई राइफलों सहित सभी अवैध और अनधिकृत आग्नेयास्त्रों को 19 अगस्त तक आत्मसमर्पण करने निर्देश दिया है.

'हिंसा में मारे गए 500 लोग'

द डेली स्टार अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, हुसैन ने कहा कि अगर वे हथियार नजदीकी पुलिस स्टेशनों को वापस नहीं किए गए तो अधिकारी तलाशी लेंगे और अगर किसी के पास अनधिकृत हथियार जाते हैं तो उनके खिलाफ आरोप दर्ज किए जाएंगे. हुसैन ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों सहित लगभग 500 लोग मारे गए और कई हजार अन्य घायल हो गए.

उन्होंने कहा, "वीडियो में एक युवक को 7.62 मिमी राइफल लेते हुए देखा गया था. इसका मतलब है कि राइफल वापस नहीं की गई. यदि आपने (डर के कारण) हथियार नहीं सौंपे तो किसी और के माध्यम से हथियार सौंप दें."

आपको बता दें कि बांग्लादेश में नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर अपनी सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद शेख हसीना ने पिछले हफ्ते इस्तीफा दे दिया और देश को उथल-पुथल में देश छोड़कर भारत चली गईं.