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महाराष्ट्र से हरियाणा तक मंथन तेज, भाजपा ऐसी सीटों पर पहले ही उतारेगी कैंडिडेट

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नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को यूपी, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में झटका लगने के पीछे एक वजह उम्मीदवारों का चयन भी मानी जा रही थी। पार्टी की आंतरिक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि भाजपा ने कई ऐसे चेहरों को रिपीट किया था, जिनसे जनता नाराज थी। इसका खामियाजा तमाम सीटों पर हार के तौर पर दिखा। अब भाजपा उम्मीदवारों के चयन में नया प्रयोग कर रही है और सीधे स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है। भाजपा ने रविवार को हरियाणा में जिला स्तर पर सर्वे कराए। जिला मुख्यालयों में मतदान कराया गया, जिनमें स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपनी पसंद के तीन नाम लिखकर देने को कहा गया।

SC और ST सुरक्षित सीटों पर पहले तय होंगे कैंडिडेट

इसके अलावा एससी और एसटी आरक्षित सीटों पर भी उम्मीदवारों का चयन थोड़ा पहले हो सकता है। इसकी वजह यह है कि लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जाति वर्ग के वोट INDIA अलायंस की ओर शिफ्ट हो गए। ऐसे में भाजपा के लिए इस वर्ग को लुभाना एक चुनौती होगी। ऐसे में पार्टी चाहती है कि ऐसी सीटों पर पहले ही उम्मीदवारों का चयन कर लिया जाए। 

इसके  लिए पार्टी ने राज्य इकाई, जिला, मंडल और तमाम मोर्चों के नेताओं को बुलाया था। इसके अलाव पूर्व विधायक, सांसद और स्थानीय निकायों में प्रतिनिधियों ने भी वोट डाले। इन नेताओं से पूछा गया था कि वे बताएं कि अपने विधानसभा क्षेत्र में आप किन तीन नेताओं को टिकट का दावेदार मानते हैं। इन लोगों को एक स्लिप दी गई थी, जिनमें तीन नाम भरने की जगह थी। इन स्लिपों में तीनों नाम भरने के बाद उसे बॉक्स में डाल दिया गया। भाजपा के एक नेता बताया कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि कार्यकर्ताओं को भरोसे में लिया जा सके। वे खुद को पार्टी की रणनीति में शामिल मान कर चलें और चुनाव में अच्छी मेहनत करें।

यह प्रक्रिया सभी जिलों में अपनाई गई। पार्टी ने जिला मुख्यालयों पर मतदान कराया और इलाके की सभी सीटों को लेकर यह एक तरह का आंतरिक सर्वे भी था। इस दौरान चुनाव प्रभारियों की भी मौजूदगी रही। भाजपा नेताओं का कहना है कि हरियाणा की सभी 90 सीटों पर कार्यकर्ताओं की राय लगी गई है। भाजपा अकेले ही सभी सीटों पर उतरने जा रही है और उसका जजपा से गठबंधन टूट चुका है। पिछली बार भी यह गठबंधन चुनाव के बाद ही बना था क्योंकि पहले भाजपा अकेले ही चुनाव में उतरी थी, लेकिन पूर्ण बहुमत न मिलने पर गठबंधन सरकार बनाई थी।

सर्वे के दौरान कार्यकर्ताओं ने उम्मीदवार के लिए पसंद के तीन नाम तो गिनाए ही। इसके साथ ही इलाके की कुछ समस्याएं भी गिनाईं, जिनके समाधान की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि इस सर्वे के आधार पर ही चुनावी रणनीति तय होगी। इस सर्वे की वजह यह भी है कि जाना जा सके कि लोगों को कौन से नेता पसंद हैं और किनसे वे नाराज हैं। दरअसल पार्टी में टिकट के दावेदारों की भी लंबी लिस्ट है। ऐसे में उनकी स्क्रीनिंग के लिए यह एक तरीका पार्टी ने निकाला है।