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अप्रैल में ही क्यों झुलसा रही गर्मी? बता रहे मौसम विशेषज्ञ; जाने लें 3 दिनों तक क्यों नहीं मिलेगी राहत

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 बिहार

बिहार में गर्मी का कहर बढ़ता ही जा रहा है। अभी अप्रैल चल रहा है लेकिन मई माह जैसी तपिश का अनुभव किया जा रहा है। दिन के साथ साथ रात में भी गर्मी बरकरार रहती है। अभी 40-42 डिग्री के आसपास तापमान रहता है। लेकिन 51-51 डिग्री तापमान वाली तपिश महसूस किया जाता है। इसकी वजह से लेकर विशेषज्ञों ने 20 साल के तापमान के रिकार्ड पर शोध किया है। शोध करने वाले विशेषज्ञों ने इसका कारण भी बताया है।

कहा गया है कि महीन धूलकण के कारण बिहार के शहरों का पारा चढ़ रहा है। विशेषकर प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 की इसमें बड़ी भूमिका है। प्रदूषण से वायुमंडल में एक आवरण बन रहा है, जो शहरों में दिन के बने तापमान को रात तक बनाये रख रहा है। यह तथ्य पटना, गया, रांची, जमशेदपुर और सिलीगुड़ी के बढ़ते तापमान में प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 के योगदान को लेकर हालिया अध्ययन में सामने आया है। अध्ययनकर्ताओं ने इन पांचों शहरों में सबसे उच्च ताप की स्थिति के आधार पर पटना को शीर्ष पर रखा है। इसके बाद क्रमश गया, रांची, जमशेदपुर और सिलीगुड़ी हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एयरोसोल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग में जनवरी- फरवरी 2023 में इस बाबत विस्तृत शोध पत्र प्रकाशित किया गया है।

शोधकर्ता प्रो. प्रधान पार्थ सारथी ने 20 साल के तापमान के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि न केवल दिन बल्कि रात के तापमान में भी इन शहरों में लगातार वृद्धि हो रही है। सारथी सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार में संकायाध्यक्ष हैं। साथ ही वे बिहार स्टेट एक्शन प्लान ऑफ क्लाइमेट चेंज के स्टियरिंग कमेटी के सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि ये पांच शहर प्रदूषण की वजह से तेजी से शहरी उच्च ताप वाले टापू में तब्दील हो रहे हैं। शोध रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगर प्रदूषण व उच्च ताप को जिम्मेदार पीएम 2.5 को नियंत्रित नहीं किया गया तो इन शहरों के तापमान में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी। पटना में जिस जगह प्रदूषण की स्थिति ज्यादा रही और इससे उच्च ताप की स्थिति बनी, उनमें सिटी का पश्चिम दरवाजा का इलाका, डाकबंगला, फ्रेजर रोड और गांधी मैदान का इलाका प्रमुख है।

दिन ही नहीं, रातें भी तप रहीं

प्रो. सारथी बताते हैं कि जब इन शहरों का तापमान 40 डिग्री के आसपास रहा हो तो उस शहर और शहर के आसपास के तापमान की स्थिति अनुभव की जा सकती है। जाड़े में इन शहरों के तापमान और शहर के बाहर के तापमान में पांच से छह डिग्री तक का अंतर दिखता है।

20 साल के तापमान के आंकड़ों पर अध्ययन

इस पूरे मामले से जुड़े शोधकर्ता डॉ. प्रधान पार्थ सारथी बताते हैं कि दो तीन साल तक इन शहरी क्षेत्रों के पिछले 20 साल के तापमान के आंकड़ों का अध्ययन किया गया। इन शहरों में विकिरण की स्थिति भी देखी गई। इसके बाद यह निष्कर्ष सामने आया कि प्रदूषण से इन शहरों में उच्च ताप की स्थिति विशेषकर पिछले पांच-छह वर्षों में ज्यादा बढ़ी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि उच्च ताप का असर सीधे तौर पर मानव शरीर के फेफड़े और हृदय पर पड़ता है। सन बर्न व अन्य शिकायतें तो उच्च तापमान के सामान्य प्रभाव हैं।

इधर, मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार अभी तीन दिनों तक गर्मी से राहत के आसार नहीं हैं।  मंगलवार को भी पूरे राज्यभर में लू जैसी परिस्थितियां रहेंगी। कुछ जगहों पर अधिकतम तापमान 44 डिग्री तक जा सकता है। ऐसे में इस सीजन में पहली बार लू का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। सभी स्कूलों को 11.30 बजे तक बंद कर देने का निर्देश दिया गया है।