वारसा
स्लोवाकिया यूरोपीय यूनियन का ऐसा तीसरा देश बना गया है जिसने यूक्रेन से खाद्यान्न आयात पर रोक लगा दी है। यह रूस के खिलाफ यूक्रेन के साथ खड़े होने वाले देशों के गुट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसरे पहले पोलैंड और हंगरी ने भी शनिवार को ऐलान किया था कि 30 जून के बाद से वे यूक्रेन से खाद्यान्न का आयात बंद कर देंगे। बता दें कि यूरोपीय यूनियन यूक्रेन के खाद्यान्न का निर्यात करवाने में सहयोग कर रहा है। वहीं इन देशों का कहना है कि यूक्रेन से बड़ी मात्रा में खाद्यान्न की सप्लाई की वजह से उनके किसानों में रोष बढ़ रहा है। उनके यहां किसानों के उत्पादों की कीमतें गिर गई हैं जिससे उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
यूरोपीय यूनियन की एक्जिक्यूटिव ब्रांच यूरोपियन कमिशन इस व्यापार का प्रबंधन करता है और उसका कहना है कि इन देशों ने बिना किसी समन्वय के एक तरफा फैसला लिया है। ब्रुसेल्स में हुई बैठक के बाद ईयू के प्रवक्ताओं ने बताया कि पोलैंड और अन्य सेंड्रल यूरोपीय देशों ने यूक्रेन का समर्थन करके सराहनीय काम किया है लेकिन किसी भी समस्या का ऐसा हल निकालना चाहिए कि जिससे संगठन का लीगल फ्रेमवर्क प्रभावितन हो।
उन्होंने कहा, हम एक युद्ध और लोगों के अधिकार के लिए काम कर रहे हैं। युद्ध के परिणाम में कुछ ऐसी चीजें होंगी जो कि यूक्रेन की जनता, यूरोपीय यूनियन के देशों और किसानों को झेलनी पड़ेंगी। ईयू के पांच ऐसे देश है जिन्होंने यूक्रेन के खाद्यान्न के मामले में तत्काल दखल देने को कहा है। इसमें पोलैंड, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, हंगरी, स्लोवाकिया शामिल हैं। उनका कहना है कि उनके बाजार यूक्रेन से होने वाली सप्लाई को झेल नहीं पा रहे हैं। बुल्गारिया भी इसी तरह के पर प्रतिबंध लगान रहा है।
इसी बीच यूक्रेनी अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल वारसॉ पहुंचा। पोलैंड में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं और मौजूदा सरकार से मांगें मनवाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। हंगरी के कृषि मंत्री का कहना है कि यूरोपीय बाजारों में यूक्रेनी उत्पाद की भरमार से किसानों के लिए संकट खड़ा हो गया है।