रत्न प्रदीप के अनुसार 72 महास्वप्न होते हैं जिनमें से कुछ शुभ और कुछ अशुभ होते हैं।
शुभ फलदायी महास्वप्नों में ये सभी वस्तुएं, रूप दिखाई दे सकती हैं, भगवान शिव, भगवान विष्णु, गौतम बुद्ध, ब्रह्ममा जी, गणेश जी, लक्ष्मी जी, गौरी माता, कार्तिकेय, अर्हत (जैन तीर्थकर), सूर्य, चन्द्रमा, कल्पवृक्ष, राजा, गाय, बैल, विमान, भवन, फूलमाला, ध्वजा, रत्न, मत्स्य, हाथी, निर्धूम अग्नि, क्षीर सागर, भरा हुआ कलश, सरोवर, मल, मांस, पर्वत, सिंह।
अशुभ फलदायी महास्वप्नों में ये सभी वस्तुएं दिखाई दे सकती हैं, श्मशान भूमि, राक्षस, भूत, पिशाच, अन्धकार, सूखा हुआ तालाब, नदी या समुद्र, ग्रहों का प्रकोप, तारों का टूटना, उल्कापात, सख्त गर्मी, भूकम्प, कांटेदार वृक्ष, कुआँ, भस्म, हड्डी, सांप, नदी-नाले, भैंसा, कुश, गंधर्व, बन्दर, कनखजूरा, संगीत, नीच ब्राह्मण, कुलटा चरित्रहीन स्त्री, लाल पत्थर, नीच दुष्ट निंदित व्यक्ति, चमड़ा, बौना ठिगना व्यक्ति, झगड़ा-फसाद, गंदी दृष्टि वाला मनुष्य, लंगड़ा-लूला व्यक्ति या लुच्चा/लफंगा, अपशब्द सुनाई देना, पृथ्वी में धंसना, सूर्य का विस्फोट, घोर अंधकार। शुभ स्वप्न – शुभ महास्वप्न के अतिरिक्त अन्य कुछ शुभ स्वप्न इस प्रकार से हैं-
जो मनुष्य स्वप्न में फलों को खाता व देखता है उसके आंगन में निश्चित ही लक्ष्मी लोटती है।
स्वप्न में अपने आप को खाट पर सोए देखना सौभाग्य सूचक होता है।
जो स्वप्न में दूसरे का वध अथवा बन्धन करता है अथवा निन्दा करता है वह पुरूष इस लोक में धनवान होता है।
स्वप्न में जो पुरूष विष खाकर मर जाए, वह रोग और क्लेशों से छूट कर बड़े भोगों को भोगता है।
जिसे स्वप्न में शोक हो, रोए अथवा अपने को मरता हुआ देखे उसे सम्पूर्ण सुख प्राप्त होता है।
स्वप्न में जो बहुत वर्षा को देखे अथवा अग्नि देखे, लक्ष्मी उसके वश में होती है।
स्वप्न में जिसके मुख में गौ का दोहन हो उसके शत्रु का नाश होता है।
दर्पण में मुख देखने से अपने प्रेमी से मिलन होता है।
स्वप्न में राजा, ब्राह्मण, गौ, देव, पितर जो कुछ कहें निश्चय ही वह उस व्यक्ति को मिलता है।
इस प्रकार प्रत्येक स्वप्न कुछ कहता है और भविष्य के राज़ खोलता है, बस इन संकेतों को सही से विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है।