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टीएमसी लोकसभा में बदलना चाह रही सीटिंग प्लान, स्पीकर से पार्टी कर रही चर्चा

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नई दिल्ली
 क्या लोकसभा में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के सांसदों की सीटिंग अरेंजमेंट बदलने जा रही है? चर्चा तो कुछ ऐसी ही है। लोकसभा में सीटों को लेकर टीएमसी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बीच अलग से बातचीत चल रही है। टीएमसी 'इंडिया' गठबंधन का हिस्सा है लेकिन फिर भी वो अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रही है। टीएमसी बीजेपी विरोधी पार्टी के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहती है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 'इंडिया' गठबंधन को सीटिंग प्लान दिया है, लेकिन इसमें टीएमसी को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि ममता बनर्जी की पार्टी विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है और उम्मीद है कि वह उसी ग्रुप में बैठेगी। लेकिन अलग सीटों की बात से पता चलता है कि टीएमसी स्वतंत्र रूप से इसके लिए बातचीत कर रही है, भले ही वे एक ही पंक्ति में हों।

टीएमसी के मन में क्या है

संसद के जानकार और राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि निचले सदन में बैठने की व्यवस्था गठबंधन के अनुसार की जाती है, न कि पार्टियों के अनुसार। सत्ताधारी गठबंधन के सदस्यों और विपक्ष के बीच स्पष्ट विभाजन के लिए, जो पार्टियों के बीच समन्वय के साथ-साथ सदन के प्रबंधन में मदद करता है। सूत्रों ने कहा कि 'इंडिया' ब्लॉक स्पीकर से एक ग्रुप के रूप में बात कर रहा है। हालांकि, अब ऐसा प्रतीत होता है कि तृणमूल कांग्रेस कुछ अलग से प्लान कर रही है। इसे बंगाल की सत्ताधारी पार्टी के खुद को बीजेपी विरोधी ताकत के रूप में अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा। ये स्पीकर चुनाव के दौरान और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी के बयानों में भी स्पष्ट था।

INDIA ब्लॉक से अलग रुख ले रहीं ममता

महत्वपूर्ण रूप से, तृणमूल ने पिछले सत्र में आपातकाल पर प्रस्ताव के खिलाफ कांग्रेस के विरोध का समर्थन नहीं किया था। हालांकि, कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी कांग्रेस का साथ नहीं दिया, उनके पास यह बहाना था कि वे आपातकाल के शिकार थे। लेकिन 1970 के दशक में टीएमसी आलाकमान कांग्रेस का हिस्सा थी। टीएमसी ने शनिवार को नीति आयोग की बैठक में भी यह कहते हुए हिस्सा लिया कि बैठक के बहिष्कार पर 'इंडिया' गुट के साथ कोई समन्वय नहीं है।

अब सीटिंग प्लान पर सस्पेंस

हालांकि 18वीं लोकसभा पहले ही अपने दूसरे सत्र में प्रवेश कर चुकी है, लेकिन सीट आवंटन अभी तक तय नहीं हो सका है। दिग्गजों का कहना है कि इस मुद्दे को सुलझाने में समय लगता है क्योंकि अलग-अलग पार्टियों की स्पीकर से अलग-अलग मांगें होती हैं, और अड़चन काफी हद तक आगे की पंक्ति की सीटों को लेकर होती है। सूत्रों ने कहा कि विपक्ष वर्तमान में अधिक से अधिक सहयोगियों को अपने साथ करने के लिए आगे की लाइन में अधिक सीटों के लिए स्पीकर पर दबाव बना रहा है। कांग्रेस को आगे की पंक्ति में और सीटें चाहिए। इसके अलावा विपक्ष में समाजवादी पार्टी और डीएमके के लिए भी प्रमुख पदों की जरूरत है। उम्मीद है कि शिवसेना (यूबीटी) को भी आगे बैठाया जा सकता है।

टीएमसी एक सूत्र ने कहा कि अभी बातचीत चल रही है। बैठने की व्यवस्था जल्द ही फाइनल हो जानी चाहिए। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद, विपक्ष सदन में अधिक संख्या में लौटा है। कांग्रेस ने खुद अपनी संख्या लगभग दोगुनी कर ली है। एक मोटे अनुमान के अनुसार, विपक्ष के सदन के लगभग 40 फीसदी हिस्से को कवर करने की उम्मीद है।