नई दिल्ली
केदारनाथ यात्रा को सरल व सुलभ बनाने के लिए सोनप्रयाग से कालीमठ होते हुए गुप्तकाशी तक वन-वे बाईपास का निर्माण होगा। इस बाईपास पर सोनप्रयाग से कालीमठ के बीच 8 किलोमीटर लंबी सुरंग बनेगी। बाईपास से कालीमठ सहित घाटी के प्राचीन मठ-मंदिरों तक भी श्रद्धालु पहुंच सकेंगे। सड़क क्षेत्र में यह सुरंग पूरे उत्तराखंड में सबसे लंबी होगी।
2013 की आपदा के बाद से केदारनाथ यात्रा को सरल, सुलभ बनाने के लिए शासन स्तर पर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। एक तरफ जहां केदारनाथ को पुनर्निर्माण के तहत भव्य रूप दिया जा रहा है। वहीं, सोनप्रयाग से गौरीकुंड रोपवे का निर्माण प्रस्तावित है। अब केदारनाथ को कालीमठ घाटी से जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। मुख्य सचिव ने हेलीकॉप्टर से पूरी कालीमठ घाटी का हवाई निरीक्षण कर बाईपास व सुरंग निर्माण की संभावनाओं का जायजा लिया।
मुख्य सचिव ने कार्तिक स्वामी क्षेत्र का भी हवाई निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि कनकचौरी से कार्तिक स्वामी ट्रैक को तीर्थाटन के साथ एडवेंचर और पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जाएगा। यह उत्तर भारत में कार्तिक स्वामी का एकलौता मंदिर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 100 से अधिक सीढ़ियां हैं। क्षेत्र में सैकड़ों छोटे-छोटे कुंड भी हैं, जिन्हें लेकर कई मान्यताएं हैं।