करौली.
करौली जिले में न केवल कई सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हालत में हैं, बल्कि जिला मुख्यालय स्थित जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) कार्यालय भवन भी बेहद क्षतिग्रस्त है और पिछले कई सालों से हादसे को न्योता दे रहा है। रियासत कालीन इस बिल्डिंग में संचालित हो रहा यह कार्यालय अब काम करने वाले कर्मचारियों के लिए सुरक्षित नहीं बचा है। भवन की स्थिति इतनी नाजुक है कि अधिकारी और कर्मचारी मजबूरी में भय के साये में काम करने को मजबूर हैं।
जर्जर भवन के कारण न केवल अधिकारी और कर्मचारियों, बल्कि आसपास रहने वाले आमजन को भी खतरे की आशंका बनी रहती है। वर्षों से जर्जर हाल भवन को लेकर शिक्षा अधिकारियों ने भी हादसे की आशंका जताई है। जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) कार्यालय शहर की घनी आबादी में तांबे की टोरी मोहल्ले में संचालित है, जिसके सामने और बगल के आम रास्ते में सदैव लोगों की आवाजाही बनी रहती है। लेकिन, भवन के जीर्ण-शीर्ण होने से खतरे की आशंका बनी रहती है।
मरम्मत के अभाव में तीन मंजिला भवन जर्जर
कार्यालय कर्मियों के अनुसार, तीन मंजिला यह भवन मरम्मत के अभाव में जर्जर अवस्था में है, लेकिन कार्यालय में बैठकर कामकाज करना भी उनकी मजबूरी है। भवन के कई कक्षों की छत की पट्टियां टूटी हुई हैं और दीवार क्षतिग्रस्त हैं। कुल मिलाकर भवन जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। पहले भी पट्टियां टूटकर नीचे सड़क पर गिर चुकी हैं। रियासतकालीन इस भवन की लंबे समय से मरम्मत नहीं हुई है। इसके चलते साल दर साल भवन क्षतिग्रस्त होते-होते अब अत्यन्त जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है, जहां बैठकर कार्य करना किसी चुनौती से कम नहीं है।
शिक्षा अधिकारियों ने जताई हादसे की आशंका
उप जिला शिक्षा अधिकारी (शारीरिक शिक्षा) मानसिंह मीणा ने बताया कि रियासतकालीन भवन की लंबे समय से मरम्मत नहीं हुई है, जिससे भवन जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। पहले भी पट्टियां टूट चुकी हैं। उन्होंने कहा कि यह भवन अब कर्मचारियों के लिए सुरक्षित नहीं है और जल्द ही इसकी मरम्मत की जानी चाहिए ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके।