भोपाल
उत्तर प्रदेश में मीडियाकर्मी बनकर आए हमलावरों द्वारा अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या को इंटेलीजेंस की खामी के तौर पर भी देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि तीनों हमलावर कई दिनों से यूपी में इसी उद्देश्य से थे और अतीक बार-बार हत्या होने का संदेह जता रहा था इसके बावजूद इंटेलिजेंस को इसकी भनक तक नहीं लगी। लिहाजा मप्र में चुनावी साल में इंटेलिजेंस को दुरुस्त करने की कवायद शुरू हो चुकी है। यदि कोई खामी पाई जाती है तो उसे ठीक करके बीट स्तर पर इंटेलीजेंस को मजबूत किया जाएगा।
इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अब पुलिस मुख्यालय का फोकस इंटेलिजेंस को ज्यादा से ज्यादा मजबूत रखने को लेकर हो गया है। प्रदेश स्तर से लेकर बीट स्तर तक पुलिस अपना इंटेलिजेंस और मजबूत करने की कवायद कर रही है। इस संबंध में हर जिले के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए जा चुके हैं। इसके साथ ही भ्रष्टाचार पर जीरो टारलेंस के लिए पुलिस कप्तान अपने क्षेत्र के पुलिसकर्मियों और अफसरों की कार्यप्रणाली पर भी नजर रखेंगे।
सूत्रों की मानी जाए तो जिला पुलिस अधीक्षकों को गांवों तक में नजर रखने का कहा गया है। इसमें इन्हें कोटवारों और ग्राम रक्षा समिति की सहायता लेने के भी निर्देश दिए गए हैं। शहरों में नगर रक्षा समिति की भी मदद लेने के लिए निर्देश दिए गए हैं। साथ ही आरक्षक तक की ब्रीफिंग अच्छे से करने के भी निर्देश डीजीपी ने पुलिस अधीक्षकों को दिए हैं।
पुलिस मुख्यालय की विशेष शाखा के जोनल पुलिस अधीक्षकों को भी हर जिले में अपने इंटेलिजेंस को और मजबूत करने को कहा गया है। ये पुलिस अधीक्षक संवेदनशील क्षेत्रों में भी अलग से अपना खुफिया तंत्र मजबूत करेंगे।
चुनावी वक्त में होगा वीआईपी मूवमेंट भीड़भाड़ में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती पुलिस
वैसे तो इंटेलिजेंस मजबूत करने को लेकर लगातार कवायद चलती रहती है, इसका लगातार रिव्यू भी किया जाता है। इस दौरान कोई खामी नजर आती है तो उसे दूर कर इंटेलिजेंस को मजबूत किया जाता है। इस साल विधानसभा के चुनाव है, ऐसे में पुलिस को भी रिस्क नहीं लेना चाहती है। इसके चलते ही बीट और हर गांव में पुलिस इंटेलिजेंस को मजबूत किया जा रहा है। ताकि चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान प्रदेश में कोई अप्रिय स्थिति नहीं बनें।
यदि ऐसी कोई स्थिति बनने की भनक इंटेलिजेंस को पहले मिल जाती है तो वह प्रशासन सहित सभी को अलर्ट कर देती है, ऐसे में गंभीर स्थिति बनने से पहले ही उसे संभाल लिया जाता है।
करप्शन के आरोपों में फंसे अफसरों/कर्मचारियों पर रहेगी नजर
हाल ही में डीजीपी ने पुलिसकर्मियों और अफसरों की गड़बड़ी और भ्रष्ट आचरण को लेकर भी बड़ी कार्यवाही की है। इसके मद्देनजर अब पुलिस अधीक्षकों को अपने जिले में पुलिसकर्मियों और अफसरों के कामकाज के साथ ही उनके आचरण पर भी नजर रखना होगी। ऐसे अफसरों और कर्मियों को फील्ड से हटाकर उन्हें लाइन या अन्य स्थान पर पदस्थ किया जा सकता है।
एसबी ब्रांच का नेटवर्क भी होगा मजबूत
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तीन से चार महीने बाद ही लोकसभा के चुनाव होना है। लिहाजा पुलिस मुख्यालय स्तर पर भी हर जिले की इंटेलिजेंस की मॉनिटरिंग लगातार की जाती रहेगी। पुलिस की विशेष शाखा के जोनल पुलिस अधीक्षकों और जिलों की एसबी ब्रांच भी अपना नेटवर्क और मजबूत करने में जुट गए हैं।