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भाजपा vs कांग्रेस में ओवैसी और केजरीवाल बढ़ाएंगे रोमांच, कर्नाटक में NCP भी तैयार

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कर्नाटक

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नामांकन अंतिम दौर में पहुंच रहे हैं। कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (सेकुलर) सहित लगभग सभी छोटी-बड़ी पार्टियां उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकीं। भाजपा जहां अपनी सरकार बरकरार रखने के लिए चुनाव लड़ रही, वहीं कांग्रेस के सामने अपना घर एकजुट रखते हुए चुनाव में लोगों का भरोसा जीतने की चुनौती है। चुनाव में ज्यादातर सीट पर कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला दिख रहा। पुराने मैसुरु क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है, क्योंकि इस क्षेत्र में जेडीएस का प्रभाव है। इस सबके बीच छोटी पार्टियां कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस के लिए मुश्किल पैदा कर सकती हैं क्योंकि, वर्ष 2018 के चुनाव में 30 सीट पर हार-जीत का अंदर पांच हजार से कम था। इनमें 18 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। वहीं, भाजपा ने आठ और जेडीएस ने तीन सीटें जीती थीं।

ऐसे में एआईएमआईएम, आम आदमी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चुनाव लड़ने पर कांग्रेस और जेडीएस की मुश्किल बढ़ सकती हैं। एआईएमआईएम मुस्लिम समुदाय के वोट काट सकती है। इसके साथ कर्नाटक में 84 सीट पर हर चुनाव में दूसरी पार्टी को विधायक जीत दर्ज करता है। मतलब यह कि इन क्षेत्रों में लोग हर चुनाव में अपनी पसंद बदल लेते हैं। इन सीट पर परिवर्तन का पैटर्न जारी रहा, तो भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता, क्योंकि, इनमें 54 सीट भाजपा के पास है। कांग्रेस के पास 19 और जेडीएस के पास आठ सीटें हैं।

लिंयागत समुदाय पर नजर
भाजपा की 54 में से 30 सीट बॉम्बे कर्नाटक और मध्य कर्नाटक में हैं। इन क्षेत्र में लिंगायत मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों लिंगायत समुदाय का भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि चुनाव से ठीक पहले प्रदेश सरकार ने लिंगायत समुदाय के लिए आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया था।

दो हजार से कम वोटों से जीते सिद्धारमैया
दो हजार से कम वोट के अंतर से जीतने वाले उम्मीदवारों में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया शामिल हैं। सिद्धारमैया ने वर्ष 2018 में बादामी और चामुंडेश्ररी सीट से चुनाव लड़ा। बादामी सीट पर वह सिर्फ 1696 वोट से जीतने में सफल रहे, जबकि चामुंडेश्ररी में उन्हें करीब 36 हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा।

60 सीट पार्टियों का गढ़
कर्नाटक में 60 सीट पर पिछले तीन चुनावों से एक ही पार्टी का कब्जा है। इनमें 27 सीट कांग्रेस, 23 भाजपा और 10 सीट जेडीएस की हैं। जेडीएस की सभी 10 सीट दक्षिणी कर्नाटक में हैं। वहीं भाजपा की सीट तटीय कर्नाटक और बॉम्बे कर्नाटक में हैं। बॉम्बे कर्नाटक में लिंगायत समुदाय अधिक है। कांग्रेस की सीट आम तौर पर सब जगह फैली हैं।