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कॉलेज के पास ड्राइवर ने नहीं रोकी बस, मजबूरी में छात्रा ने लगाई छलांग; दर्दनाक मौत

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बेंगलुरु

चलती बस से छलांग लगाने पर इंजीनियरिंग की एक छात्रा की दर्दनाक मौत हो गई। घटना कर्नाटक के हुलीगुड्डा के एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के पास की बताई जा रही है। चश्मदीदों के मुताबिक, छात्रा ने बस रोकने की काफी गुहार लगाई लेकिन, ड्राइवर और कंडक्टर ने बस रोकने से साफ इन्कार कर दिया। मजबूरन छात्रा को चलती बस से कूदना पड़ा। मामले में बस ड्राइवर और कंडक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। घटना से गुस्साए छात्रों ने कॉलेज के पास सड़क पर जाम लगाया और जमकर हंगामा किया।

यह घटना गुरुवार की बताई जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार, चलती बस से कूद मारने के बाद सिर में गंभीर चोट लगने से हुलीगुड्डा के एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के 19 वर्षीय छात्र की मौत हो गई। मृतका की पहचान एल श्वेता के रूप में हुई है। पीड़िता कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार पाठ्यक्रम के पहले सेमेस्टर में पढ़ती थी।

घटना क्या हुई थी
बताया जा रहा है कि श्वेता बस से छात्रावास और कॉलेज के बीच आना-जाना करती थी। गुरुवार को भी वह सरकारी बस में सवार हुई और चालक व परिचालक से बस को कॉलेज में रोकने की गुहार लगाई। बावजूद इसके कंडक्टर और ड्राइवर ने लड़की के कहने पर बस रोकने से इनकार कर दिया। चश्मदीदों के मुताबिक, श्वेता तब बस से कूदी, जब बस उसके कॉलेज के पास एक स्पीड ब्रेकर पर धीमी हो गई। हालांकि, छात्रा ने इस दौरान अपना संतुलन खो दिया और गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे हुविनाहादगली तालुक अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे हायर सेंटर रेफर किया। हालांकि, उसने दावणगेरे के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया।

ड्राइवर और कंडक्टर के खिलाफ मुकदमा
बस चालक और परिचालक के खिलाफ हुविनाहदगली थाने में मामला दर्ज किया गया है। आक्रोशित छात्रों ने सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज के पास सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन भी किया और छात्र की मौत की निंदा की। उन्होंने कहा कि कॉलेज के पास बसों को रोकने के लिए अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और मंत्रियों को कई मौकों पर ज्ञापन सौंपे गए। हालांकि, किसी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके लापरवाह रवैये ने अब एक छात्रा की जान ले ली है। गौरतलब है कि प्रतिदिन 540 से अधिक छात्र कस्बे से कॉलेज आते हैं। कॉलेज के पास बसें नहीं रुकती हैं, जिससे उन्हें अक्सर असुविधा का सामना करना पड़ता है।