Home राज्यों से मोदी सरकार के आम बजट को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री की पहली...

मोदी सरकार के आम बजट को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री की पहली प्रतिक्रिया सामने आई, कहा-हम खुश हैं, काफी मदद मिली

27

पटना
मोदी सरकार के आम बजट को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होने कहा कि बजट से हम खुश हैं। विशेष दर्जा के लिए हमलोग आंदोलन कर रहे थे। आज जो बोल रहे हैं जब उनकी पार्टी केंद्र में थी तब क्या किए? हम इसके लिए लगातार बोलते रहे हैं।  हमने कहा विशेष राज्य जा दर्जा दीजिए या विशेष अधिकार के लिए मदद कीजिए। हम लोगों ने कह दिया था बिहार को मदद करिए उसी में कई चीजों की मदद की घोषणा हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को केंद्र सरकार की ओर से पूरी मदद मिल रही है। विशेष राज्य का दर्जा बंद कर दिया, तो जो मदद होनी चाहिए थी। वो विकास के लिए हो रही है। उन्होने कहा कि पहले बिहार का बुरा हाल था। अब कितना रास्ते, रोड और स्कूल बन गए हैं। पटना में कितना काम हुआ है।

आपको बता दे मोदी सरकार के बजट में बिहार को 26 हजार करोड़ रुपए कई परियोजनाओं के लिए प्रस्तावित किए गए हैं। जिसमें सड़क, हवाई अड्डे, पुल और हेल्थ सेक्टर और बाढ़ नियंत्रण शामिल है। इसके अलावा 21 हजार करोड़ के पावर प्लांट का भी ऐलान किया गया है। वहीं आज बिहार विधानसभा में विपक्ष ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। विपक्षी दल के नेता झुनझुना लेकर सदन पहुंचे। आपको बता दें केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से मना कर दिया है। और इसकी वजह भी बताई है। जिसके बाद से लगातार विपक्ष एनडीए और नीतीश सरकार पर हमलावर है। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को नीतीश के सीएम पद से इस्तीफे की भी मांग कर चुके हैं।

दरअसल संसद में जेडीयू सांसद रामप्रीत मंडल ने वित्त मंत्रालय से पूछा कि क्या सरकार के पास बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की कोई योजना है। जिस पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि NDC मानदंडों के आधार पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मामला नहीं बनता है। उन्होने बताया कि नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल (NDC) की तरफ से योजना सहायता के लिए कुछ राज्यों को विशेष दर्जा दिया गया था, जिनपर विशेष ध्यान देने की जरूरत थी। इनमें पहाड़ी और दुर्गम जमीन पर होना, कम जनसंख्या घनत्व होना या बड़ी संख्या में आदिवासी आबादी होना, पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, आर्थिक और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में पिछड़े राज्य शामिल हैं।