Home शिक्षा गुरु पूर्णिमा कथा: भगवान कृष्ण ने अपने गुरु संदीपनि को क्या दिया

गुरु पूर्णिमा कथा: भगवान कृष्ण ने अपने गुरु संदीपनि को क्या दिया

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गुरु को भगवान ने भी सबसे ऊपर रखा है। प्राचीन समय के साथ ही गुरु को गुरु दक्षिणा उपदेश की परंपरा भी चलती आ रही है। यह परंपरा भगवान राम और श्री कृष्ण ने भी लागू की है। इसके अलावा अर्जुन योद्धा हो या एकलव्य सभी ने इस परंपरा को पूरा किया। भगवान कृष्ण ने भी जब अपनी शिक्षा पूर्ण होने के बाद गुरु संदीपनी से पूछा कि गुरु दक्षिणा में आप क्या दूं तो गुरु संदीपनी ने ऐसा करने से उन्हें मना कर दिया। लेकिन, भगवान कृष्ण ने आग्रह किया कि वह गुरु दक्षिण की परंपरा को पूरा करें। इसके बाद गुरु संदीपनी ने तो नहीं बल्कि उनकी पत्नी ने भगवान कृष्ण से कुछ ऐसा पूछा जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। साथ ही भगवान कृष्ण ने भी अपने गुरु को गुरु दक्षिणा देने के लिए अपना बल पूरा दिया था।

कौन थे भगवान कृष्ण के गुरु गुरु संदीपनी का जन्म अवंती में कश्यप गोत्र में हुआ था। संदीपनी बहुत बूढ़े और सिद्ध ऋषि थे। संदीपनी का अर्थ देवताओं के ऋषि होते हैं। संदपीनी ऋषि ने उज़ैन में घोर तपस्या की थी साथ ही यहां उन्होंने वेद पुराण, न्याय शास्त्र, राजनीति शास्त्र, धर्म ग्रंथ आदि की शिक्षा के लिए आश्रम का निर्माण किया था। महर्षि संदपीनी के गुरुकुल में वेद पुराण सहित चौंसठ कलाओं की शिक्षा दी गई थी। उनके गुरुकुल में दूर-दूर से लोग शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे। महर्षि संदीपनी के गुरुकुल के नियम थे कि जो भी यहां सबसे अधिक शिक्षा ग्रहण करता है, उसे पहले यज्ञोपवीत संस्कार दिया जाता था। साथ ही यहां उपस्थित शिष्यों को आश्रम के सभी आचार्यों और ब्रह्मचर्य का पालन करना होता था। भगवान श्रीकृष्ण, सुदामा और बलराम ने महर्षि संपदीपनि के आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी।

64 दिन में ही भगवान कृष्ण ने पूरी कर ली थी शिक्षा भगवान कृष्ण ने यहां 64 दिन में ही अपनी शिक्षा पूरी कर ली थी। श्रीकृष्ण ने 18 दिन में 18 पुराण, 4 दिन में चारों वेद, 16 दिन में सभी 16 कलाएं और केवल 20 दिन में गीता का ज्ञान हासिल किया था।

​भगवान कृष्ण ने अपने गुरु को दक्षिण में क्या दिया?

भगवान कृष्ण ने जब अपनी शिक्षा पूरी कर ली तो महर्षि संदिपनी ने कहा कि मेरे पास भी ज्ञान था वो सभी मैं आपको दे चुका हूं। आपकी शिक्षा पूरी होती है। इसपर भगवान कृष्ण कहते हैं कि गुरुदेव मैं आपको गुरु दक्षिण में क्या दूं। महर्षि संदीपनी बोलीं आप तो खुद प्रभु हैं मैंने आपको क्या दिया है। इसपर श्री कृष्ण ने गुरु शिष्यों की परंपरा का निर्वाह करने के लिए कहा है कि गुरुदेव आपको गुरु दक्षिणा के लिए कोई भी आदेश नहीं देना होगा। महर्षि संदपिनी ने अपनी पत्नी को सारी बात बताते हुए कहा कि आप ही कुछ मांगें। इसपर गुरु संदीपनी की पत्नी ने कहा कि उनके बेटे की अकाल मृत्यु हो गई थी और उन्होंने अपने बेटे का जीवनदान गुरु दक्षिण में मांगा।

​कैसे आपके गुरु के पुत्र भगवान कृष्ण को वापस लेकर आए, इसके बाद भगवान कृष्ण सीधे उस समुद्र के किनारे आए जहां महर्षि सांदीपनि का पुत्र खोया था। समुद्र से गुरु संदपिनी के पुत्र भगवान की प्रार्थना की गई। इसपर सी ने बताया कि भगवान मेरे गर्भ में एक दैत्य रहता है जिसका नाम पंचजन्य हैं। उसी ने गुरु सन्धानी के चित्र का विवरण लिया गया है। इतना कहते ही भगवान तुरंत समुद्र में चले गए और उन्होंने पंचजन्य नाम के राक्षस को मार दिया। इसके बाद भी भगवान कृष्ण को गुरु संदीपनी के पुत्र नहीं मिले। इसके बाद भगवान कृष्ण यमपुरी द्वीप। वहां उन्होंने यमराज से गुरु पुत्र को वापस लाने की मांग की। यमराज भगवान कृष्ण को नहीं पहचान पाए और उनके साथ युद्ध करने लगे। इस बीच जैसे ही उन्हें समझ आया कि ये भगवान कृष्ण हैं तो उन्होंने गुरु पुत्र को वापस लौटा दिया। इसके बाद भगवान कृष्ण ने गुरु माता को अपना खोया हुआ पुत्र लौटा दिया और ऐसे भगवान कृष्ण ने अपने गुरु दक्षिणा को पूरी तरह से वापस ले लिया।