नईदिल्ली
लड़कियों में पीरियड्स आना एक आम बात है, लेकिन अगर यह प्रक्रिया छोटी उम्र में शुरू हो जाए तो इसे चिंता का विषय माना जाता है. पुराने जमाने में जहां पीरियड्स 11 से 15 वर्ष की उम्र में शुरू होते थे, वहीं आजकल कई लड़कियों को उनका पहला पीरियड महज 9 साल की छोटी सी उम्र में ही आ जाता है. यह आगे चलकर लड़कियों की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और आज कल के माता-पिता को क्या करना चाहिए.
क्या कहती है रिसर्च?
जामा नेटवर्क ओपन जर्नल ने अमेरिका में एक रिसर्च की थी, इस रिसर्च के अनुसार, अमेरिका में लड़कियों को उनका पहला पीरियड 1950 और 60 के दशक की तुलना में औसतन लगभग 6 महीने पहले आ रहा है. इस रिसर्च के अनुसार, लड़कियों में अब 9 साल की उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं.
रिसर्चर के अनुसार, उन्होंने यह रिसर्च 71,000 से ज्यादा महिलाओं पर की थी. महिलाओं द्वारा साझा किए गए डाटा से पाया गया कि 1950 से 1969 के बीच पीरियड 12.5 साल की उम्र से शुरू हो रहा था, वहीं 2000 से 2005 में पीरियड्स 11-12 साल की उम्र में आने लगा था.
अब 11 साल की उम्र से पहले पीरियड्स आने वाली लड़कियों की संख्या 8.6% से बढ़कर 15.5% हो गई है और 9 साल की उम्र से पहले पीरियड्स आने वाली लड़कियों की संख्या दोगुना से भी ज्यादा हो गई है.
रिसर्चर का कहना है कि पीरियड्स के बदलते रुझान को समझना महत्वपूर्ण है. रिसर्च में यह भी पाया गया कि ज्यादातर लड़कियों को रेगुलर पीरियडस् भी नहीं आ रहे हैं. इर्रेगुलर/अनियमित पीरियड्स के कारण बहुत सी बीमारियां लड़कियों में बढ़ रही हैं, जिनमें पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओएस(PCOS) भी शामिल है.
रिसर्च में दावा किया गया है कि लड़कियों में पीरियड्स जल्दी आना उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इसकी वजह से लड़कियों में हृदय रोग, मोटापा, गर्भपात (मिसकैरिज) और जल्दी मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है. इसके साथ ही जल्दी पीरियड्स आने की वजह से ओवेरियन और ब्रेस्ट कैंसर जैसे तमाम कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
रिसर्चर के मुताबिक, "अगर किसी लड़की को 12 साल की उम्र से पहले पीरियड्स शुरू हो जाते हैं तो उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 20% बढ़ जाता है."
क्या है इसके पीछे की वजह?
रिसर्चर की मानें तो लड़कियों में इतनी जल्दी पीरियड्स आने की कोई एक वजह नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई वजहें हैं, जिन्हें समझना बहुत जरूरी है.
उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि इसका एक पहलू लड़कियों में बढ़ता मोटापा है. अब छोटी-छोटी उम्र के बच्चे भी मोटापे का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में जो लड़कियां बचपन से मोटी होती हैं, उनमें जल्दी पीरियड्स आने का खतरा बहुत ज्यादा होता है. इसके साथ ही तनाव भी इसका एक बड़ा कारण है.
वह बताते हैं, "जब हमें तनाव ज्यादा होता है तो हमारे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन और एण्ड्रोजन हार्मोन ज्यादा रिलीज होते हैं. फैट टिशू इन हार्मोनों को एस्ट्रोजन में बदल देता है, जो ब्रेस्ट को बढ़ाता है." एस्ट्रोजन के रिलीज के स्तर में आया यह बदलाव भी शरीर में पीरियड्स शुरू होने का संकेत देता है.
हमारे पर्यावरण में बुरी तरह फैले केमिकल्स भी पीरियड्स के जल्दी आने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आजकल लड़कियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कॉस्मैटिक प्रोडक्ट्स भी इसको बढ़ावा देते हैं.
क्या उपाय कर सकते हैं माता-पिता?
रिसर्चर का कहना है कि माता-पिता को इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे फलों और सब्जियों से भरपूर एक हेल्दी डाइट लें. हेल्दी और कंप्लीट डाइट लेना समय से पहले प्यूबर्टी और पीरियड्स के आने के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है.
डाइट के साथ-साथ रेगुलर एक्सरसाइज, पर्याप्त नींद भी बहुत जरूरी है. अगर आप इन दोनों चीजों का भी ध्यान रखते हैं तो जल्दी प्यूबर्टी और पीरियड्स के खतरे को घटाया जा सकता है. कुछ रिसर्च में देर से सोने और कम नींद लेने को भी जल्दी प्यूबर्टी आने से जोड़ा गया है.
रिसर्चर कहते हैं कि माता-पिता को अपने आपको इस तरह की स्थिति के लिए हमेशा तैयार रखना चाहिए और इसके साथ ही उन्हें अपने बच्चों को भी पहले से ही इसका जानकारी देनी शुरू कर देनी चाहिए, जिससे वह किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहें.