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एकाउंटिंग में बनाएं अपना करियर

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एकाउंटिंग आज के दौर में बेहद डिमांडिंग फील्ड बन गया है। उदारीकरण के दौर में देश में निजी
कंपनियों के विस्तार और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन से सीए, आइसीडब्ल्यूए, सीएस, कंप्यूटर
एकाउंटेंसी के एक्सपर्ट्स की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। एकाउंटिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें
आपका करियर ग्राफ तेजी से बढ़ता है। वैसे तो ज्यादातर कॉमर्स के स्टूडेंट्स ही एकाउंटिंग के क्षेत्र में
जाना चाहते हैं, लेकिन दूसरे स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के लिए भी इसके रास्ते खुले हुए हैं। जानते हैं इससे
संबंधित कुछ प्रमुख क्षेत्रों और उनमें एंट्री के बारे में।

सीए
सीए का मतलब है चार्टर्ड एकाउंटेंट। चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑडिटिंग, टैक्सेशन और एकाउंटिंग में
स्पेशलाइजेशन रखता है। सीए प्रोफेशन निरंतर लोकप्रिय होता जा रहा है। यहां तक कि छोटी
कंपनियों और कारोबारियों को भी अपने आर्थिक मसलों के प्रबंधन के लिए सीए की जरूरत होती है।
भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की तो अब विदेशों में भी अच्छी मांग है, खासकर पश्चिम एशिया के देशों,
ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में। कंपनी अधिनियम के अनुसार भारत में किसी कंपनी में ऑडिटिंग के
लिए सिर्फ चार्टर्ड एकाउंटेंट को ही रखा जा सकता है।

सीए को चार्टर्ड एकाउंटेंसी का फाइनल एग्जाम पास करने के बाद इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स
ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) के एसोसिएट के रूप में स्वीकार किया जाता है। आईसीएआइ का
मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसके पांच क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, कानपुर, चेन्नई, मुंबई और नई
दिल्ली में हैं। चार्टर्ड एकाउंटेंसी के करिकुलम में थ्योरिटिकल एजुकेशन के साथ अनिवार्य प्रैक्टिकल
ट्रेनिंग दी जाती है। इस प्रोग्राम को करने के लिए किसी छात्र को बारहवीं या उसके समकक्ष एग्जाम
पास होना चाहिए। ऑडिटिंग, कॉमर्शियल लॉ, एकाउंटेंसी के साथ कॉमर्स ग्रेजुएट करने वाले छात्र भी
इसे कर सकते हैं। आर्ट्स व साइंस स्ट्रीम के भी स्टूडेंट भी सीए कोर्स कर सकते हैं।

करिकुलम
सीए कोर्स के तीन चरण होते हैं। पहला, कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्ट (सीपीटी) जिसमें चार विषयों
एकाउंटिंग, मर्केटाइल लॉ, जनरल इकोनॉमिक्स और क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड के एंट्री लेवल के टेस्ट होते
हैं। दूसरे चरण में इंटीग्रेटेड प्रोफेशनल कॉम्पिटेंस कोर्स (आइपीसीसी) को पूरा करना होता है। यह सीए
करिकुलम का पहला ऐसा चरण है जिसमें एकाउंटेंसी प्रोफेशन के कोर एवं अलायड सब्जेक्ट्स के

केवल वर्किग नॉलेज को कवर किया जाता है। तीसरा चरण सीए फाइनल कहा जाता है, जिसके तहत
फाइनेंशियल रिपोर्टिंग, स्ट्रेटेजिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट, एडवांस मैनेजमेंट एकाउंटिंग, एडवांस
ऑडिटिंग जैसे विषयों के एडवांस एप्लीकेशन नॉलेज को कवर किया जाता है।

आर्टिकलशिप
आइपीसीसी के ग्रुप को पास करने के बाद किसी अनुभवी सीए के पास तीन साल की अवधि के लिए
आर्टिकलशिप करनी होती है। इस दौरान स्टाइपेंड भी मिलता है। सीएस सीएस का मतलब है कंपनी
सेक्रेटरीशिप। कंपनी सेक्रेटरी ऐसा प्रोफेशनल कोर्स है, जिसका प्रबंधन द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी
सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आइसीएसआइ) द्वारा किया जाता है। कंपनी अधिनियम के अनुसार जिन
कंपनियों की चुकता पूंजी 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा है, उन्हें कंपनी सेक्रेटरी रखना जरूरी होता
है।

कंपनी सेक्रेटरी बनने के लिए किसी कैंडिडेट को अब फाउंडेशन कोर्स, एग्जिक्यूटिव प्रोग्राम और
प्रोफेशनल कोर्स पास करना होता है जिन्हें पहले फाउंडेशन एग्जामिनेशन कहा जाता था। इंस्टीट्यूट
एक इंटरमीडिएट और फाइनल एग्जाम आयोजित करता है और बाद में कैंडिडेट्स को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग
करनी पड़ती है। इसके बाद वह कंपनी सेक्रेटरी की सदस्यता के योग्य माना जाता है। इस प्रोग्राम को
करने के लिए कैंडिडेट को बारहवीं या समकक्ष एग्जाम पास होना चाहिए। आइसीडब्ल्यूएआइ या
आइसीएआइ का फाइनल एग्जाम पास करने वाले ग्रेजुएट भी इस प्रोग्राम में शामिल हो सकते हैं।
आइसीडब्ल्यूए आइसीडब्ल्यूए के तहत कॉस्ट और वर्क्स एकाउंटेंसी का कार्य आता है। यह प्रोग्राम
इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट ऐंड वर्क्स एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीडब्ल्यूएआइ) द्वारा संचालित किया
जाता है।

कॉस्ट ऐंड वर्क एकाउंटेंट
किसी कंपनी की बिजनेस पॉलिसी तैयार करते हैं और पुराने एवं मौजूदा वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर
किसी प्रोजेक्ट के लिए अनुमान जाहिर करते हैं। यह कोर्स करने के लिए छात्र की उम्र कम से कम
17 वर्ष होनी चाहिए और उसे केंद्र या राज्य सरकार के मान्यताप्राप्त बोर्ड से बारहवीं पास होना
चाहिए। कंप्यूटर एकाउंटेंसी कंप्यूटर एकाउंटेंसी नए जमाने का एकाउंटिंग कोर्स है। खास बात यह है
कि इस कोर्स को करने के लिए कॉमर्स का बैकग्राउंड होना कतई जरूरी नहीं है। दिल्ली के पूसा रोड
स्थित आइसीए के डायरेक्टर अनुपम के अनुसार बारहवीं या ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद सीआइए
प्लस का एडवांस कोर्स करके एकाउंटेंट के रूप में जॉब आसानी से पाई जा सकती है।

दरअसल, आजकल ऑफिसेज में एकाउंटिंग पहले जैसे बहीखाते और लेजर के द्वारा नहीं होता, बल्कि
एडवांस कंप्यूटर्स और सॉफ्टवेयर के माध्यम से होता है। कंप्यूटराइज्ड एकाउंटिंग असल में आइटी
आधारित कोर्स है। आप महज 10 महीने का कोर्स करके ही एकाउंटेंसी के मास्टर बन सकते हैं।
कंप्यूटर एकाउंटेंसी के तहत मुख्यतः बिजनेस एकाउंटिंग, बिजनेस कम्युनिकेशन, एडवांस एकाउंट्स,
एडवांस एमएस एक्सेल, टैक्सेज, आइएफआरएस, फाइनेंशियल मैनेजमेंट, इनकम टैक्स प्लानिंग आदि
की प्रैक्टिकल और जॉब ओरिएंटेड ट्रेनिंग दी जाती है।