पटना
सांसदों के लेटरहेड से रेलवे में टिकट फर्जीवाड़ा मामले में एसी और स्लीपर कोच में यात्रा करने वाले यात्री बुरे फंस गए हैं। 500 से अधिक लोगों को चिन्हित किया गया है। सांसद के फर्जी लेटरहेड से जिनका टिकट कन्फर्म हुआ उन्हें भी आरोपी बनाया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। फर्जीवाड़े का फायदा उठाने वालों में बिहार के अलावा यूपी के भी यात्री शामिल हैं। आरपीएफ की टीम यात्रियों और मास्टरमाइंड सत्यजीत प्रकाश से जुड़े दलालों की सूची बना रही है। उन दलालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी
मुजफ्फरपुर के गोबरसही स्थित श्रीनगर कॉलोनी से जब्त सांसदों के लेटरहेड में 313 टिकट के पीएनआर और यात्रियों का विस्तृत ब्योरा हासिल किया गया है। यात्रियों के मोबाइल नंबर से अब आरपीएफ के अधिकारी उनसे संपर्क साध रहे हैं। उनसे सांसद से संपर्क के संबंध में जानकारी ली जा रही है। आरपीएफ यह पता लगाने में जुट गई है कि लेटरहेड से टिकट कंफर्म कराने वाले सांसद के लोग हैं या कोई और। कहीं उन लोगों ने लेटरहेड हासिल करने में फर्जीवाड़ा तो नहीं किया।
जिन सांसदों का लेटरहेड इस्तेमाल किया गया है उनसे भी आरपीएफ के अधिकारी लेटरहेड के संबंध में जानकारी लेंगे। उन्हें यात्री का नाम-पता बताकर पूछा जाएगा कि टिकट कन्फर्म करने के लिए लेटरहेड जारी किया गया या नहीं। सांसद के इंकार पर यात्रियों की सत्यजीत से मिलीभगत मानी जाएगी। यह तय होने पर उन्हें भी कांड का अभियुक्त बनाया जाएगा। पुलिस उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है।
टिकट फर्जीवाड़ा में निचली अदालत से जमानत नहीं मिलती
स्थिति यह है कि कई पीएनआर नंबर से यह स्पष्ट हो रहा है कि सांसद के लेटरहेड पर कन्फर्म कराए गए टिकट पर पूरे परिवार ने यात्रा की है। इस तरह यात्रा करने वाले सभी लोग आरोपित बनेंगे। टिकट फर्जीवाड़ा के मामले में निचली अदालत से जमानत नहीं मिल पाती है। इसके लिए रेल यात्री को कोर्ट में सरेंडर कर विधिवत जमानत लेनी होगी। आरपीएफ में एफआईआर दर्ज होने के बाद इस कांड की छानबीन के लिए एसआई रैंक के अधिकारी गोकुलेश पाठक को आईओ बनाया गया है। अनुसंधान पदाधिकारी ने काम शुरू कर दिया है।