Home राज्यों से आरएसएस की तीन दिवसीय प्रांत प्रचारकों की बैठक का आज समापन, कई...

आरएसएस की तीन दिवसीय प्रांत प्रचारकों की बैठक का आज समापन, कई विषयों पर की गई चर्चा

22

रांची
आरएसएस की तीन दिवसीय प्रांत प्रचारकों की बैठक का आज समापन हो गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश की सभी अभावग्रस्त बस्तियों में सेवा कार्य प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। संघ की सभी शाखाओं के साथ-साथ संघ की योजना से संचालित सभी सेवा न्याय, सेवा भारती व अन्य समविचारी संगठनों को भी इस कार्य में जुट जाने को कहा गया है।

रांची के सरला बिरला विश्वविद्यालय परिसर में हुई आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के दूसरे दिन सेवा, संपर्क व बौद्धिक कार्य विभाग सहित कई विषयों को लेकर चर्चा की गई। संघ एवं समविचारी संगठनों की ओर से अभी पूरे देश में एक लाख 35 हजार से अधिक सेवा कार्य चलाए जा रहे हैं। इस तीन दिवसीय बैठक को लेकर अखिल भारतीय प्रान्त प्रचारक सुनील आंबेकर ने कहा कि इस बैठक में भाग लेने के लिए पूरे देश से 227 की संख्या में लोग आए जिसमें प्रचारक, सह प्रचारक, प्रांत प्रचारक सभी लोग आए। सुनील आंबेकर ने कहा कि इस तीन दिवसीय बैठक में कार्यकर्ता विकास वर्ग हुए। इस वर्ष 60 संघ शिक्षा वर्ग हुए। संघ का शताब्दी वर्ष 2025 विजयदशमी में है इससे पूर्व संघ का लक्ष्य देश के सभी मंडलों में शाखा शुरू करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि संघ की एक पत्रिका आती है जागरण पत्रिका जो कि मासिक आती है तो जहां संघनकी शाखाएं नहीं लगती है। वैसे 58532 इतने गांव में जहां शाखा नहीं है, शाखा कार्य नहीं है। ऐसे गांव में लगातार यह पत्रिकाएं पहुंच रही है।

25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित करने पर सुनील आंबेकर ने कहा कि 25 जून 1975 को इस देश ने आपातकाल को देखा है ये एक दुर्भाग्यपूर्ण दिन था। वहीं मणिपुर की हिंसा पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि सर संघ संचालक ने इस पर वक्तव्य दिया था। वही मुस्लिमों की संघ से दूरी पर उन्होंने कहा कि कट्टरवादियों की ताकत है जो हमारे देश में भी है दुनिया भर में भी है उनके विचार बहुत ही विपरीत है वह पूरी मानवता के खिलाफ है।

वही धर्मांतरण और प्रदेश के संथाल परगना में आदिवासियों की घटती जनसंख्या और डेमोग्राफी चेंज पर पर सुनील आंबेकर ने कहा कि मतांतरण का कुछ लोग अपने समाज में प्रयास करते रहते हैं। समय-समय पर जो गलत प्रकार की पद्धतियां है उसका भी उपयोग कर वह करते हैं। मुझे लगता है कि कानूनी ऐसी बातों पर पाबंदी भी है तो उसका सभी को पालन करना चाहिए। बाकी और संघ इस बात को बराबर ध्यान में रखता है कि ऐसा कोई भी जबरदस्ती का या किसी को लालच देकर या गलत तरीके से कोई मतांतरण नहीं होना चाहिए इस पर हमेशा संघ का आग्रह रहता है और आगे भी रहेगा ।