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प्रॉपर्टी नाम नहीं करने पर जेल में ही बनवाता था मुर्गा, अतीक का कुछ ऐसा था रसूख

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लखनऊ
17 साल की किशोरावस्था से खूनी खेल खेलने वाले अतीक अहमद का अंत भी इसी अंदाज में हुआ। तीन शूटरों ने अतीक और उसके भाई अशरफ दोनों को गोलियों से भून डाला। अतीक अहमद पर अपहरण, हत्या और फिरौती के सैकड़ों केस दर्ज हैं। यूपी से बिहार तक उसके दुश्मनों की भी कमी नहीं है। इन आपराधिक मामलों में वो जेल भी गया। पिछले कुछ समय से वो साबरमती जेल में सजा काट रहा था। अतीक से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो उसके रसूख को बयां करते हैं। व्यवसायियों को अतीक के गुर्गे जेल में ही लेकर पहुंचते थे। जहां प्रॉपर्टी अतीक के नाम की जाती थी। ऐसा न करने पर वह कपड़े उतरवाकर पिटाई करता और मुर्गा तक बनवाता था। ऐसे ही साल 2018 में उस वक्त सनसनी मच गई थी जब लखनऊ के एक बड़े व्यवसायी ने आरोप लगाया कि अतीक के 25 गुर्गे उसे देवरिया जेल ले गए, जहां अतीक उसका इंतजार कर रहा था।

 घटना 26 दिसंबर 2018 की है। लखनऊ के एक व्यवसायी मोहित जायसवाल ने आरोप लगाया था कि अतीक अहमद के गुर्गों ने उसका अपहरण किया और उसे पूर्वी उत्तर प्रदेश की देवरिया जेल परिसर में ले जाया गया, जहां उसे मजबूर किया गया कि वह अपनी करोड़ों की संपत्ति अतीक अहमद के नाम कर दे। हैरत की बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम में जेल प्रशासन को कोई खबर तक नहीं हुई।

जेल में 40 करोड़ की संपत्ति हड़पी
मोहित जायसवाल ने पुलिस को बताया कि 26 दिसंबर को लखनऊ में उनके घर के बाहर से उनका अपहरण कर लिया गया था, उन्हें उनकी ही एसयूवी में देवरिया जेल ले जाया गया था। उन्होंने कहा कि उन्हें जेल परिसर के अंदर ले जाया गया और अतीक अहमद से मिलवाया गया। एफआईआर में जायसवाल ने आरोप लगाया कि अतीक अहमद और उनके समर्थकों द्वारा उनके साथ मारपीट की गई। धमकी देते हुए 40 करोड़ रुपये की संपत्ति सौंपने के लिए कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।

जेल में पिटाई भी हुई
व्यवसायी ने आरोप लगाया कि जेल परिसर के अंदर अतीक अहमद, उनके बेटे और अन्य ने उन पर हमला किया। पिटाई की गई, कपड़े उतरवाकर मुर्गा तक बनवाया गया। मोहित के अनुसार, यह सब जेल परिसर के अंदर और जेल कर्मचारियों की पूरी जानकारी में हुआ। लेकिन किसी में अतीक को कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई।

जेल प्रशासन ने भी माना आया था मोहित
देवरिया जेल प्रशासन ने स्वीकार किया है कि मोहित जायसवाल नाम का एक व्यक्ति 26 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे जेल के अंदर अतीक अहमद से मिला था, लेकिन उसका दावा है कि जेल कर्मचारियों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसका अपहरण किया गया था या किसी तरह की जबरदस्ती की गई थी।