Home राज्यों से बिहार-सीतामढ़ी/शिवहर/गोपालगंज में भी मौत की बसें, उन्नाव हादसे के बाद भी खतरनाक...

बिहार-सीतामढ़ी/शिवहर/गोपालगंज में भी मौत की बसें, उन्नाव हादसे के बाद भी खतरनाक अनदेखी

19

सीतामढ़ी/शिवहर/गोपालगंज/उन्नाव.

उत्तर प्रदेश के उन्नाव बस हादसे का शिकार हुई बस का ड्राइवर नशे में था- यह बात सामने आ चुकी है। 'अमर उजाला' ने हादसे के कुछ घंटे बाद ही सामने ला दिया था कि यह बस बगैर परमिट और बीमा के चल रही थी। अब आज, बिहार के उन जिलों से ग्राउंड रिपोर्ट- जहां की बस दूसरे राज्यों में भारी तादाद में लोगों को ले जाती है। यह रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ वही बस खटारा नहीं थी, जो उन्नाव में हादसे का शिकार हुई।

सिर्फ वही इकलौती बस नहीं थी, जो नियमों को तोड़कर रोज राज्य और दूसरे प्रदेशों का सफर कर रही। पड़ताल में पता चला कि सीतामढ़ी, शिवहर और गोपालगंज में कई लंबी दूरी की बसें टूरिस्ट परमिट पर चल रही हैं। मगर, सवारियों को आम परमिट की तरह ले जाया जा रहा। इतना ही नहीं कई बसों के ढांचे में भी परिवर्तन कर उसके आकार को बढ़ा दिया गया है। आरटीओ कार्यालय मिली जानकारी के अनुसार, सीतामढ़ी से झारखंड के रांची और बंगाल के सिलीगुड़ी के लिए बसों के संचालन की परमिट दी गई है। जबकि, लंबी दूरी के अन्य किसी राज्यों के लिए सीतामढ़ी से किसी बस का परमिट नहीं है।

दर्जनों बसें दिल्ली समेत कई बड़े शहरों तक जाती है–
सीतामढ़ी, शिवहर गोपालगंज से दर्जनों की संख्या से अधिक स्लीपर डबल डेकर बसें दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व अन्य राज्यों के बड़े शहरों तक जाती हैं। हालांकि, इसके मानक का ख्याल बिलकुल नहीं रखा जाता है। लंबी दूरी की इन बसों में से ज्यादातर में पुरानी बसों में ही मनमाना बदलाव कर डबल डेकर बनाकर चलाई जाती हैं। बस में बदलाव के लिए एमवीआई से मंजूरी भी नहीं ली जाती। बिना मंजूरी मनमाने बदलाव के बाद भी अवैध बसों का फिटनेस एमवीआई कार्यालय से पास हो जाता है और इस आधार पर इन्हें टूरिस्ट परमिट मिल जाता है। टूरिस्ट परमिट पर ही ये लोग परिचालन करते है। इन बसों में क्षमता से अधिक सवारियों को ठूंसकर बैठाया जाता है।  एक बस में 70 से 80 यात्रियों को ढोया जाता है। मनमाना बदलाव कर डबल डेकर बनाई गई बसों को लोहे के चादर और प्लाइवुड से पैक कर दिया जाता है। इनमें न इमरजेंसी गेट बनाया जाता और न स्पीड गवर्नर लगा होता है।

भारत-नेपाल सीमा से जुड़ी प्रखंडों से भी यह बसें खुलती हैं–
ऐसे में सीतामढ़ी और शिवहर जिले से प्रत्येक दिन दिल्ली समेत देश के अन्य शहरों के लिए नियमों को ताक पर रखकर टूरिस्ट परमिट पर दो दर्जन से अधिक बसों में यात्रियों को ढ़ोया जा रहा है। इन बसों के संचालन के लिए जिला मुख्यालय ही नहीं, बल्कि प्रखंड मुख्यालयों में भी दिल्ली समेत अन्य राज्यों को जाने वाली बसों के काउंटर भी खुल गए हैं। यहां से प्रत्येक दिन विभिन्न राज्यों में जाने के लिए बसों की टिकट कटती है। दिल्ली समेत अन्य राज्यों में जाने के लिए भारत-नेपाल सीमा से जुड़ी प्रखंडों से भी ये बसें खुलती हैं। इसमें अधिक बसों का संचालन भारत-नेपाल सीमा के सुरसंड और भिट्ठामोड़ से की जाती है। काउंटर खोलने, टिकट काटने से लेकर सवारी बैठाने तक में रोज नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।

टूरिस्ट परमिट होने के कारण स्टैंड से परिचालन नहीं होता-
दिल्ली जाने वाली अधिकांश बसों का परिचालन चौक-चौराहों और फॉर लेन के किनारे से हो रहा है। टूरिस्ट परमिट होने के कारण स्टैंड से इनका परिचालन नहीं होता है। चोरी छिपके लोग इसका परिचालन कर रहे है। चुकी, स्टैंड से स्थाई परमिट वाली बसें ही खुलती हैं। हालांकि, अवैध तरीके से दिल्ली चलाई जा रही बसों के ऑनर का बस स्टैंड में कार्यालय भी खुला है, जहां टिकट की बुकिंग की जाती है। उन्नाव हादसे के बाद के बाद बाद परिचालक फरार है। अधिकांश जगह पर बसें नहीं दिखीं जहां पूरे दिन बस लगा रहता है। यहां तक की बस के बोर्ड को भी हटा दिया गया था। गली और किनारे से छुप छुप कर सवारी उठा रहे थे।  इस संबंध में डीटीओ स्वप्निल ने बताया की सीतामढ़ी से लंबी दूरी के बसों का परिचालन टूरिस्ट पर होने की बात की जानकारी मिली है। लंबी दूरी के लिए संचालित हो रही बसों की परमिट की जांच की जायेगी। जांच में गड़बड़ी मिलने के बाद नियमानुसार उचित कार्रवाई की जायेगी।

दिल्ली जानेवाली बसों की जांच नहीं हाे रही है—
उन्नाव हादसके बद बिहार के अलग अलग जिलों से गोपालगंज होकर दिल्ली कई दर्जन बस जाती है। इसी के में दिल्ली जा रही डबल डेकर बस आगरा एक्सप्रेसवे पर उन्नाव जिले में दुर्घटना की शिकार हो गयी और इस दर्दनाक हादसे में बस में सवार 18 यात्रियों की मौत हो गयी। हादसे के बाद बस के सुरक्षा मानकों पर सवाल उठने लगा है। लोग भी हादसा होने के बाद सीख नहीं ले रहें हैं। दो दिन पहले अमेठी में हुए बस हादसे में गोपालगंज के बरौली थाना क्षेत्र के निवासी सुनील कुमार की मौत हो गयी। बावजूद दिल्ली जानेवाली बसों की जांच नहीं हाे रही। गोपालगंज से होकर दिल्ली के लिए प्रतिदिन 25 से अधिक बसें गुजरती हैं। जिले के कई यात्री भी बसों में सफर करते हैं, लेकिन लंबी दूरी तक सफर करनेवाली बस में सुरक्षा मानक क्या है, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं लेता।

दिल्ली जाने वाले यात्रियों ने क्या कहा—
 दिल्ली से गोपालगंज पहुंची महिला यात्री ने कहा कि जिस बस में हम सवार थे वह बस एक्सप्रेसवे पर स्पीड में चलते हुए कांपने लगी। बस की टूटी खिड़कियों पर कांच की जगह जुगाड़ के तौर पर प्लाइबोर्ड लगाये गये थे। वहीं, बस में अन्य सुविधाओं का भी अभाव था। बस में सवार मोतिहारी के यात्री संदीप कुमार ने बताया कि इस बस के मालिक कई और बस चलवाते हैं। हमलोग जब सफर शुरू करने वाले थे, तो हमें जानकारी नहीं थी कि हमलोगों को खटारा बस में बैठा दिया जायेगा।