इस्लामाबाद
चीन के बुने कर्ज के जाल में पाकिस्तान इस कदर जकड़ गया है कि अब चाहकर भी उसके लिए निकल पाना संभव नहीं है। चीन पाकिस्तान ऑर्थिक कॉरिडोर (CPEC) के जरिए आज पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के कंट्रोल में है, जो पूरी दुनिया में बीजिंग से नजदीकी बढ़ाने वाले देशों के लिए एक सबक है। पाकिस्तान के एक्सपर्ट का ऐसा मानना है। उनके मुताबिक, पाकिस्तान की हालत ये है कि उसने सीपीईसी के तहत जो कर्ज लिया है, उसे चुका पाने की क्षमता नहीं है। बेहद चालाकी से बिछाए गए कर्ज के जाल में पाकिस्तान फंस गया है और अब उसका भविष्य चीन के हाथ में है।
पाकिस्तानी पत्रकार और एक्सपर्ट कामरान खान ने अपने शो में कहा कि सीपीईसी पाकिस्तान के कर्ज के जाल का क्लासिक उदाहरण है। चीन पहले कर्ज देकर अपने जाल में फंसाता है और जब कर्जदार देश अपने भुगतान को पूरा करने में असमर्थ हो जात है, तो खुद ही आर्थिक या राजनीतिक रियायतें निकालने के इरादे से कर्जदार देश को और ज्यादा कर्ज देकर अपना गुलाम बना लेता है। सबसे खास बात ये है कि इस दौरान कर्ज की शर्तों को अक्सर छिपा लिया जाता है।
17 प्रतिशत का ब्याज वसूल रहा चीन
पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने बताया कि चीन पाकिस्तान को दिए गए कर्ज पर 17 प्रतिशत का ब्याज लगाया हुआ है। ये ब्याज डॉलर के आधार पर तय किया गया है, जिसका मतलब है कि अगर डॉलर मजबूत होता है तो पाकिस्तान के ऊपर ज्यादा बोझ पड़ेगा। इसके पहले चीन ने नेपाल के साथ ही ऐसा ही किया है, जिसके चलते 3 प्रतिशत के ब्याज का रिटर्न की जगह काठमांडू को 36 फीसदी अदा करना पड़ रहा है।
पाकिस्तान के लिए राष्ट्रीय संकट
कामरान खान ने माना कि पाकिस्तान इस समय चीन का कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है और उसने हाथ खड़े कर दिए हैं। शो में ये भी खुलासा हुआ कि पाकिस्तान ने चीन के सामने कर्ज की अदायगी पर ब्याज को कम करने के लिए चीन से बात भी की थी। इस दौरान उसने अदा करने के लिए 10 साल की जगह 20 साल की समय सीमा करने की मांग की थी, लेकिन चीन ने इसे इनकार कर दिया। पाकिस्तानी एक्सपर्ट ने कहा कि सीपीईसी का कर्ज जाल अब पाकिस्तान के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा संकट में बदल गया है और इससे बाहर निकलने की कुंजी केवल चीन के ही पास है।
पाकिस्तान की वरिष्ठ पत्रकार मारियाना बाबर ने भी चीन के कर्ज को पाकिस्तान के लिए खतरा बताया है। उन्होंने एक्स पर कामरान खान की पोस्ट शेयर करते हुए बताया कि अमेरिका ने बहुत पहले पाकिस्तान को चेतावनी दी थी। अमेरिका ने अफ्रीकी देशों का उदाहरण दिया था, जहां चीन ने धोखाधड़ी की थी। बाबर ने आगे बताया कि सीपीईसी में कभी कोई पारदर्शिता नहीं थी, केवल बहुत प्रचार किया गया। चीन एक बहुत जरूरी सहयोगी है, लेकिन इस कीमत पर नहीं।