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साइबर ठग सॉफ्टवेयर के क्रैक वर्जन का प्रलोभन देकर सिस्टम ही चुरा लेते हैं जानकारी

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जगदलपुर

पुलिस द्वारा लगातार साइबर ठगों की धरपकड़ में तेजी लाने और उनके द्वारा ठगी की तरीकों के खुलासा होने से अब ठग कई नये तरीके अपना रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक सायबर ठग अब यूट्यूब में लोगों को नये तरीके से प्रलोभन देकर सूचनाएं चुराने लगे हैं। यू-ट्यूब में फोटो शॉप, आॅटो काई व अन्य उपयोगी सॉफ्टवेयर की जानकारी देकर उनके उपयोग करने की योजना बताते हैं। फिर सॉफ्टवेयर के क्रैक वर्जन के लिए यूजर्स को सदस्यता लेने का प्रलोभन देकर अपने जाल में फंसा रहे हैं। इस साफ्टवेयर में मैलवेयर अथवा रेनसमवेयर प्रमुख है जिनके माध्यम से यूजर्स के कम्प्यूटर सिस्टम की जानकारी चुरा लेते है।

किसी भी सिस्टम से सूचनाएं चोरी करने के लिए साइबर ठग यूट्यूब के माध्यम से यूजर्स को सॉफ्टवेयर सस्ते दाम पर डाउनलोड करने मैम्बरशिप लेने का लालच देते हैं। इसमें वीडियो को और अधिक विश्वसनीय बनाने अथवा प्रचार योजना बताते हैं। फिर सॉफ्टवेयर के क्रैंक वर्जन के लिए यूजर्स को मैम्बरशिप लेने का लालच देकर जाल में फांस रहे हैं। इन सॉफ्टवेयर के लिए फर्जी या भ्रमक कमेंट्स भी जोड़ देते हैं। जब यूजर्स इन सॉफ्टवेयर को खरीदता है और सिस्टम में डाउनलोड करता है तो उसके साथ ही सिस्टम में साफ्टवेयर के साथ-साथ मेलवेयर या रेनसमेवयर भी डाउनलोड हो जाते हैं, वे सिस्टम को कन्ट्रोल कर लेते हैं। इसके मार्फत सिस्टम से बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड पासवर्ड गैलरी से फोटो व वर्ड फाइल तक चुरा लेते हैं।

साइबर विशेषज्ञ नरेंद्र पानीग्राही के अनुसार इस तरह केप्रलोभन द्वारा कम्प्यूटर सिस्टम से सूचनाएं चुराने वालों से बचने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिए निम्न, सावधानियां बरतें सिस्टम के लिए कोई क्रैक वर्जन सुरक्षित नहीं हैं। कोई सॉफ्टवेयर लाइसेंस कम कीमत पर नहीं दिया जाता है। वेबसाइट से ही अपडेट कर खरीदे हुए सॉफ्टवेयर का ही उपयोग करें। गूगल पर सर्च करने के दौरान केवल वेबसाइट पर ही क्लिक करें। विज्ञापन लिंक पर क्लिक न करें। सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय ध्यान रखें कि सॉफ्टवेयर कभी इएसडी फाइल में उपलब्ध नहीं होता है।