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भाजपा विधायक ने लोन लेकर खरीदी 50 लाख की जमीन, दी अस्पताल को दान

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सिहोरा

मध्य प्रदेश के जबलपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानने के बाद लोगों की अपने विधायकों व सांसदों से उम्मीदें काफी बढ़ जाएंगी। दरअसल यहां के एक विधायक से जब इलाके के गरीबों की दुख-तकलीफें नहीं देखी गईं तो उन्होंने खुद लोन लेकर जमीन खरीदी और फिर अस्पताल बनाने के लिए उसे दान भी दे दिया। खास बात यह है कि यह जमीन लाख-दो लाख रुपए की नहीं बल्कि पूरे 50 लाख रूपए की है, और विधायक इस रकम को अपने वेतन से चुकाने की बात कह रहे हैं।

इस कारनामे को करने वाले विधायक का नाम संतोष बरकड़े है,जो कि यहां कि सिहोरा विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं। इस मामले में जानकारी देते हुए बरकड़े ने बताया कि कुण्डम इलाका मुख्यतः आदिवासी इलाका है, जिसकी आबादी करीब 60 हजार है। इनमें भी ज्यादातर लोग गरीब हैं, ऐसे में यहां स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से इन लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। किसी भी तरह की बीमारी होने पर जबलपुर भागना पड़ता था, ऐसे में समय पर इलाज नहीं मिलने के चलते कई बार तो लोगों की जान भी खतरे में पड़ जाती थी। खासकर गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती थी।

आगे उन्होंने बताया, 'जब मैं विधायक बना तो मुझे पता चला कि इलाके में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए राशि स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन इलाके में ज्यादातर जमीन निजी होने के चलते अस्पताल बनाने के लिए सरकारी जमीन नहीं मिल पा रही है, ऐसे में मुझे इस राशि के लैप्स होने का डर सताया। यदि एक बार पैसा वापस लौट जाता तो दोबारा स्वीकृत कराने में बहुत सी मुश्किलें आती। जिसके चलते मैंने अपने करीबियों से सलाह लेकर इस समस्या के समाधान के बारे में सोचा और आखिरकार एक एकड़ जमीन खरीदकर अस्पताल के लिए दे दी।'

बता दें कि बरकड़े खुद मध्यमवर्गीय किसान परिवार से आते हैं और खेती-किसानी व एक छोटी सी दुकान से उनका घर चलता है। वे खुद दो कमरों के मकान में रहते हैं, लेकिन लोगों की तकलीफ को दूर करने के लिए जिस तरह से उन्होंने बैंक लोन लेकर 50 लाख की जमीन अपने क्षेत्र के लोगों के लिए दान कर दी, ऐसे में उनकी इस दरियादिली को देखकर हर कोई हैरान है और उनकी इस सहृदयता को सलाम कर रहा है। इस अस्पताल के बनने का काम भी शुरू हो चुका है। बताया जा रहा है कि इस अस्पताल के बनने से आसपास के 60 गांवों के लोगों को इलाज का फायदा होगा और उन्हें यहां-वहां नहीं भटकना पड़ेगा।