जयपुर.
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करके आरोप लगाया था कि भजनलाल सरकार न तो रोजगार दे पा रही है, न ही बेरोजगारी भत्ता। गहलोत के इस ट्वीट के साथ ही प्रदेश में बेरोजगारी भत्ते का मुद्दा एक बार फिर से गर्माता नजर आ रहा है। 3 जुलाई से शुरू होने जा रहे राजस्थान विधानसभा सत्र में सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी विधायकों ने भी बेरोजगारी भत्ते को लेकर सवाल लगाए हैं।
रोजगार उत्सवों के जरिए अपनी छवि चमकाने में जुटी प्रदेश की भजनलाल सरकार के लिए बेरोजगारी भत्ते की पेंडेंसी बड़ा मुद्दा बन सकती है। वित्त विभाग ने बीते करीब 10 महीनों से बेरोजगारी भत्ते के भुगतान रोक रखे हैं। अब 3 जुलाई से शुरू होने जा रहे विधानसभा के बजट सत्र में सरकार को इस पर जवाब देना होगा। भत्ते को लेकर सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी विधायकों ने भी विधानसभा में सवाल लगाए हैं। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल में लाई गई यह योजना आचार संहिता लागू होने के बाद से ही ठप पड़ गई। सितंबर 2023 से अब तक इस योजना में बेरोजगारों का करीब 500 करोड़ रुपये का भत्ता जारी नहीं किया जा सका है। यही नहीं करीब योजना में शामिल होने के लिए एक लाख नए आवेदन भी सरकार के पास पेंडिंग हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह सरकार को घेरने के लिए बड़ा मुद्दा है।
वित्त विभाग से ECS होने का इंतजार
योजना संचालित करने वाले श्रम एवं रोजगार विभाग के सचिव पीसी किशन ने बताया कि विभाग की तरफ से इसके बिल वित्त विभाग को सबमिट किए जा चुके हैं और करीब एक लाख नए आवेदन भी सरकार के पास आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि दिसंबर तक करीब 250 करोड़ रुपए के बिल बकाया थे, इसके बाद हर महीने औसतन 45 से 50 करोड़ के बिल और बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि वित्त विभाग से इस संबंध में बात हो चुकी है और बेरोजगारों को जल्द ही भत्ता जारी कर दिया जाएगा।
उपचुनावों का मुद्दा बन सकता है भत्ता
मुद्दा सिर्फ बजट सत्र तक ही सीमित नहीं है, आने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी यह सरकार के लिए परेशानी पैदा कर सकता है। राजस्थान में इस साल 5 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संभावित हैं। इसमें रोजगार कांग्रेस का सबसे बड़ा मुद्दा होगा। राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस बेरोजगारी को मुद्दा बना रही है और चुनावी कैंपेन में भी यही मुद्दा सबसे ज्यादा हावी रहा है।