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देश के लिए खून बहाने वालों को अपना आदर्श मानना चाहिए : डा. मोहन भागवत

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गाज़ीपुर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) के सरसंघचालक डा. मोहनराव भागवत ने सोमवार को धामूपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में 'मेरे पापा परमवीर' पुस्तक का लोकार्पण किया। परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के जीवन पर आधारित इस पुस्तक को डॉ.रामचंद्रन निवासन ने लिखी है।

सरसंघचालक अपने एक दिवसीय दौरे पर परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के गांव धामूपुर पहुंचे थे। यह कार्यक्रम वीर अब्दुल हमीद के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित की गई है। उनके और उनकी पत्नी रसूलन बीबी के मूर्ति पर सर्वप्रथम माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।

इस मौके पर डॉ. भागवत ने कैप्टन मकसूद गाजीपुरी द्वारा लिखित पुस्तक 'भारत का मुसलमान' का भी विमोचन किया। कैप्टन मकसूद सेना से रिटायर्ड हैं। वो अब्दुल हमीद की जयंती पर आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा.मोहनराव भागवत ने कहा कि देश के लिए खून तथा पसीना बहाने वालों को अपना आदर्श मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि शहीदों के स्मरण और अनुकरण से विशाल भारत का निर्माण होता है और अच्छे भारत भारतीय होने का गौरव प्राप्त होता है। परिस्थिति चाहें जैसी हो हमें अपनी मातृभूमि व प्राचीन संस्कृति पर गर्व करते हुए अनुकरण करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जानवर और इंसान में फर्क है। इंसान दूसरे के लिए जीता है, जबकि जानवर अपने लिए जीता है। इसे चरितार्थ परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद ने किया। वह युद्ध के रण में शहीद हो गए। शहीद अब्दुल हमीद की जयंती पर भागवत ने कहा कि मुख्य द्वार पर मैंने एक लाइन लिखी देखी 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,वतन पर मरने वालों का यही बांकी निशां होगा'। वास्तव में शहीद अमर हो जाते हैं। शहीद का बलिदान महान होता है। भारतीय संस्कृति में अपने उपभोग और मजे के लिए जीने की परंपरा नहीं है। शहीद ऐसे ही अपना जीवन जीते हैं। ये बहुत कठिन तपस्या है।

गौरतलब है कि वीर अब्दुल हमीद को भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान अदम्य साहस और वीरता के लिए बलिदान देने के लिए सरकार ने उन्हें मरणोपरांत वीरता के सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया है।

संघ के सरसंघचालक द्वारा परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के गांव जाना और उनके बड़े बेटे जैनुल हसन के बातचीत पर आधारित पुस्तक 'मेरे पापा परमवीर' का लोकार्पण करना अपने आप में एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम है।

कौन हैं अब्दुल हमीद

शहीद वीर अब्दुल हमीद भारतीय सेना में नौकरी के दौरान 10 सितंबर 1965 को भारत-पाक युद्ध के दौरान खेमकरन सेक्टर के अग्रिम मोर्चे पर तैनात थे। यहां उन्होंने शौर्य और पराक्रम का परिचय देते हुए आरसी गन के जरिए पाक सेना के कई पैटर्न टैंकों को ध्वस्त किया और वह इस लड़ाई में शहीद हो गए। इसके बाद मरणोपरांत उनकी वीरता को परमवीर चक्र से नवाजा गया।

आरएसएस की सोच मुस्लिमों के खिलाफ नहीं

इस कार्यक्रम के आयोजक सदस्यों में शामिल संतोष सिंह यादव ने बताया कि आरएसएस को लेकर आम जन की एक धारणा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा मुसलमान के खिलाफ सोचता है और करता है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जो गहराई से जानते हैं, वह ऐसा नहीं सोचते। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण ही इस राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाने के उद्देश्य से हुआ है। हम अपने राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने के लिए तैयार रहते हैं।

उन्होंने कहा, ऐसे में चाहे जिस भी जाति और धर्म का व्यक्ति इस राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान करता है, जिनका जीवन राष्ट्र के नाम पर समर्पित है और जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस देश की रक्षा किया है, उनको नमन करने और श्रद्धांजलि देने के लिए और समाज में एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए आरएसएस प्रमुख का आगमन हुआ।