इंदौर
इंदौर में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे पिता को उसकी नाबालिग बेटी नया जीवन देगी। बेटी को अपने पिता को लिवर देने की अनुमति हाईकोर्ट से मिल गई। जल्दी ही बेटी का लिवर पिता के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाएगा।
पिता शिवनारायण बाथम का लिवर खराब हो गया था। उन्हें कोई डोनर भी नहीं मिल रहा था। बेटी लिवर देने के लिए तैयार थी, लेकिन नाबालिग होने के कारण कानूनी अड़चन आ रही थी। इस कारण मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। 13 जून को इस मामले में याचिका दायर की गई थी।
शिवनारायण को निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। बेटी प्रीति का लिवर डोनेशन के लिए चेकअप हुआ। उसका ब्लड ग्रुप मैच हो गया। अन्य रिपोर्ट भी ठीक रही और मेडिकल बोर्ड ने लिवर डोनेशन के लिए प्रीति को योग्य पाया। मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने भी इसकी अनुमति दे दी। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने भी अनुमति दे दी। गुरुवार सुबह इस केस के लिए वर्चुअल सुनवाई हुई।
दो हॉस्पिटल और कमिश्नर की रिपोर्ट्स को बनाया आधार
प्रीति के वकील नीलेश महोरे ने बताया, 'गुरुवार को ग्वालियर बेंच के जज विशाल मिश्रा ने इंदौर बेंच में वर्चुअल सुनवाई की। कोर्ट ने 20 और 24 जून के ऑर्डर और रिपोर्ट के आधार पर लिवर ट्रांसप्लांट करने की परमिशन दी है। फैसले का आधार एमवाय हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन और भोपाल कमिश्नर की रिपोर्ट्स को आधार बनाया है। महोरे ने बताया कि शिवनारायण प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं। मेडिकल चेकअप में प्रीति भी फिट पाई गई है।
डॉ. अमित बरफा ने बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट की तैयारियां लगभग पूरी हैं। दोपहर बाद कोर्ट का लिखित ऑर्डर मिलते ही ट्रांसप्लांट शुरू कर दिया जाएगा। इसमें 10 से 12 घंटे का समय लगेगा।
शिवनारायण की पांच बेटियां है। प्रीति सबसे बड़ी बेटी है। वह अपने पिता को लिवर डोनेट करना चाहती थी। उसके बालिग होने में दो माह का समय है, लेकिन लिवर ट्रांसप्लांट के लिए इतने समय तक रुका नहीं जा सकता था। शिवनारायण की हालत लगातार खराब हो रही थी। उनके शरीर में सूजन भी आ रही थी। इस वजह से मामला अनुमति के लिए हाईकोर्ट पहुंचा। अब डाॅक्टरों की टीम एक बार फिर सारी जांचें करेगी और प्रीति का लिवर पिता को दिया जाएगा।